पुलिस, सीबीआई और ईडी जैसी जांच एजेंसियों की चार्जशीट सार्वजनिक प्लेटफार्म पर अपलोड करने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि पुलिस और जांच एजेंसियों को आम जनता की आसान पहुंच के लिए सार्वजनिक मंच पर चार्जशीट अपलोड करने का निर्देश नहीं दिया जा सकता। चार्जशीट कोई सार्वजनिक दस्तावेज नहीं है। चार्जशीट अपलोड करने का निर्देश सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता) के विपरीत होगा। इससे आरोपियों के साथ-साथ पीड़ित तथा जांच एजेंसी के अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एफआईआर अपलोड करने के फैसले को चार्जशीट तक नहीं बढ़ाया जा सकता है। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने यह कहते हुए आरटीआई कार्यकर्ता और पत्रकार सौरव दास की याचिका खारिज कर दी। 9 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रखा था। कोर्ट ने याचिका पर सवाल उठाते हुए कहा था कि अगर केस से जुड़े लोगों के अलावा दूसरों को चार्जशीट मिलती है, तो उसके दुरुपयोग की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता। याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने टिप्पणी की थी कि अगर चार्जशीट जनता के लिए उपलब्ध कराई जाती है, तो उनका दुरुपयोग होने की संभावना है। जस्टिस शाह ने कहा था कि चार्जशीट हर किसी को नहीं दी जा सकती है।
