दो साल बाद इस बार उर्स में पाकिस्तानी जायरीन का जत्था शामिल हो रहा है। ट्रेन बुधवार सुबह अजमेर रेलवे स्टेशन पर डेढ़ घंटे देरी से पहुंची है। पहले आम यात्री स्टेशन से निकले। पीछे के चार डिब्बों में 240 पाक जायरीन थे, जिनको बाद में निकाला गया। सामान की जांच के बाद उनको रोडवेज की पांच बसों में बैठाकर कड़ी सुरक्षा में सेन्ट्रल गर्ल्स स्कूल ले जाया गया।
मंगलवार को पाक जत्थे में शामिल करीब ढाई सौ पाकिस्तानी नागरिकों ने अटारी बार्डर से देश में प्रवेश किया और दोपहर करीब डेढ़ बजे अमृतसर स्टेशन से ट्रेन में सवार होकर अजमेर के लिए रवाना हुए। अजमेर से सीआईडी जोन का दल अमृतसर से ट्रेन में जायरीन जत्थे के साथ अजमेर आया है। अमृतसर से अजमेर के बीच चलने वाली ट्रेन संख्या 19614 में पाक जायरीन जत्थे के लिए चार बोगियां अतिरिक्त लगाई गई थीं। पाक जायरीन जत्थे की सुरक्षा के लिए पुलिस, आरपीएफ, जीआरपी, सीआईडी और आईबी के अधिकारी मय दल के साथ ट्रेन में तैनात थे। पाक जत्थे की वापसी 1 फरवरी को शाम छह बजे ट्रेन संख्या 19613 से अमृतसर के लिए होगी।
लाहौर से आए कुछ जायरीनों ने बताया कि वे 2004 में आए थे और अब 17 साल के बाद फिर आने का मौका मिला। ख्वाजा के दरबार में आने से मन को सुकून मिल रहा है। अच्छा लगा। यहां वे दोनों मुल्कों के लिए दुआ मांगेंगे। चाहेंगे कि दोनों मुल्कों में तंदुरस्ती व खुशहाली बनी रहे। सफर भी अच्छा रहा और कोई परेशानी नहीं हुई।
पिछली बार पाक जायरीन जत्था वर्ष 2020 में आया था। दो साल कोरोना के कारण जत्था उर्स में शिरकत नहीं कर पाया। सेंट्रल गर्ल्स स्कूल में पाक जायरीन को रहने, खाने की पर्याप्त व्यवस्था की गई। है। सुरक्षा के लिहाज से बायोमेट्रिक जांच बाद ही पाक जायरीन को स्कूल में प्रवेश दिया गया। बाहर निकलते समय भी उनकी बायोमेट्रिक जांच होगी।
पाक जायरीन जत्था पिछले 49 सालों से ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स में शिरकत करने आ रहा है। सिंधु जल संधि को लेकर भले ही भारत और पाकिस्तान में आपसी खींचतान चल रही हो, लेकिन 14 सितंबर 1974 को भारत-पाक के बीच हुए धार्मिक वीजा समझौता दोनों मुल्क आज भी निभा रहे हैं।
