जयपुर जिले के कोटपूतली में 30 जनवरी सोमवार को कुहाड़ा के छापाला भैरूजी मंदिर में लक्खी मेले का आयोजन किया जा रहा है। इसके लिए जेसीबी मशीन, थ्रेसर, ट्रैक्टर-ट्रॉली, फावड़े की मदद से 100 से ज्यादा लोग चूरमा तैयार कर रहे हैं। पूरे क्षेत्र में करीब 350 क्विंटल चूरमे के टीले ही टीले बन गए। यहां भैरूजी को विशेष प्रसादी में चूरमे का ही भोग लगाया जाता है।
हर साल इस मेले में लाखों की संख्या में लोग आते हैं। इस आयोजन को लेकर पिछले एक महीने से तैयारी चल रही है। इस बार 50 बीघा से ज्यादा क्षेत्र में पंडाल तैयार किया गया है। मेले में 2 लाख से ज्यादा भक्तों के आने की संभावना है।
उनके लिए ही 350 क्विंटल चूरमा तैयार किया जा रहा है। पहले आटे से मोटी बाटियां बनाई गईं। फिर बाटियों को फसल काटने वाली थ्रेशर मशीन में पीसा गया। इसके बाद चूरमा में शक्कर, सूखे मेवे और अन्य चीजें मिलाने के लिए जेसीबी को बुलाया गया। चूरमा में करीब 750 किलो काजू-बादाम मिलाया गया है। शुक्रवार को चूरमा बनकर तैयार हो चुका है। आज इसमें घी मिलाया हया। पूरे चूरमे में करीब 26 क्विंटल घी मिलाया गया।
खास बात ये है कि जेसीबी, थ्रेशर आदि मशीनों को काम लेने से पहले अच्छी तरह से साफ किया गया। इन्हें पानी से धोया गया। इसके बाद जो लोग चूरमा बनाने के लिए टीलों पर चढ़ते हैं, उनके पैरों को भी कपड़ों और पॉलीथिन से ढका गया।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सोनगिरी पोसवाल नाम के ग्रामीण प्रथम भैरू जी के भक्त थे। वह भैरू बाबा की मूर्ति को ग्राम कुहाडा में स्थापित करवाना चाहते थे। भक्त भैरव बाबा की मूर्ति लाने काशी चले गए। भैरू बाबा ने उसे सपने में दर्शन देकर सोनगिरी से बड़े बेटे की बलि मांगी, जिस पर वह बेटे की बलि देकर भैरूजी की मूर्ति लेकर चल देते हैं। भैरू बाबा परीक्षा से खुश होकर पुत्र को जीवित कर देते हैं। इसके बाद भक्त और उसके बेटे ने पंच पीरों के साथ गांव में मूर्ति की स्थापना विधि विधान से जागरण और भंडारे के साथ की। आज भी यहां प्राचीन पंचदेव खेजड़ी वृक्ष की पूजा होती है।
इस बार मेले के 1 दिन पहले 29 जनवरी को चोटीया मोड से मंदिर परिसर लगभग 3 किलोमीटर की विशाल कलश यात्रा का आयोजन किया जाएगा। कलश यात्रा में ग्रामीण महिलाएं परंपरागत वेशभूषा में गाजे-बाजे के साथ शामिल होंगी। इस दौरान भक्तों पर मेला प्रशासन कमेटी द्वारा हेलिकॉप्टर से पुष्प वर्षा की जाती है, जो यहां पर आकर्षण केंद्र होता है।
कोटपूतली-सीकर स्टेट हाईवे से दक्षिण दिशा में 2 किलोमीटर दूरी पर स्थित भैरू मंदिर तक पहुंचने के लिए 3 भव्य दरवाजों से गुजरना पड़ता है। 116 सीढ़ियां चढ़कर मंदिर परिसर तक पहुंचा जाता है। मंदिर परिसर में भैरव बाबा की मूर्ति स्थापित है। इनके साथ ही सवाई भोज, शेड माता और हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है। लक्खी मेले की सारी व्यवस्थाएं ग्रामीण ही संभालते हैं।

