अदाणी के मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में संग्राम के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए समूचे विपक्ष, खासकर राहुल गांधी पर जमकर प्रहार किया, लेकिन अडाणी से रिश्तों पर मौन रहे। साथ ही उन्होंने कहा कि देश में आज राष्ट्रहित में फैसले लेने वाली सरकार है, हम इच्छाशक्ति से सुधार कर रहे हैं।
इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने एक-एक करके विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए जमकर शब्दबाण छोड़े। अपने 85 मिनट के भाषण में उन्होंने कहा- बहुत सारे विपक्षी ‘मिले-सुर मेरा-तुम्हारा’ कर रहे थे। मुझे लगता था कि देश की जनता और चुनावी नतीजे ऐसे लोगों को जरूर एक मंच पर लाएंगे, वो तो हुआ नहीं। लेकिन इन लोगों को ईडी का धन्यवाद करना चाहिए, जिसके कारण ये एक मंच पर आ गए। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस चर्चा में सबने हिस्सा लिया और सबने अपने-अपने आंकड़े, तर्क दिए और अपनी रुचि, प्रवृत्ति, प्रकृति के अनुसार अपनी बातें रखीं। जब इन बातों को समझने का प्रयास करते हैं तो ध्यान में आता है कि किसकी कितनी क्षमता, योग्यता, समझ और किसका क्या इरादा है। मैं कल देख रहा था कुछ लोगों के भाषण के बाद पूरा ईकोसिस्टम और समर्थक उछल रहे थे और खुश होकर कहने लगे– ये हुई न बात, शायद नींद भी अच्छी आई होगी। शायद आज उठ भी नहीं पाए होंगे। ऐसे लोगों के लिए कहा गया है…अच्छे ढंग से कहा गया है…ये कह-कह कर हम दिल को बहला रहे हैं, वो अब चल चुके हैं, वो अब आ रहे हैं।
विपक्ष पर हमाला जारी रखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, लगभग तीन दशकों तक भारत में राजनीतिक अस्थिरता रही। आज हमारे पास एक स्थिर और निर्णायक सरकार है। निर्णायक सरकार हमेशा देश के हित में निर्णय लेने का साहस रखती है। पिछले 9 साल में 90,000 स्टार्टअप सामने आए हैं। स्टार्टअप्स में हम दुनिया में तीसरे नंबर पर हैं। भारत मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में उभर रहा है। दुनिया भारत की समृद्धि में अपनी समृद्धि देखती है। निराशा में डूबे कुछ लोग इस देश के विकास को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। वे लोगों की उपलब्धियों को देखने में विफल रहते हैं। ये निराशा ऐसे नहीं आई, इस निराशा के पीछे कारण है, एक तो 2004 से 2014 तक भारत की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल हो गई, इस पर निराशा नहीं होगी तो क्या होगी। 10 साल में महंगाई डबल डिजिट रही, इसलिए अगर कुछ अच्छा होता है तो निराशा और उभर कर आती है।
यूपीए सरकार के दौरान हुए घोटालों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज यूपीए की पहचान यही है कि इन्होंने हर मौके को मुसीबत में पलट दिया। जब तकनीक और सूचना का युग तेजी से बढ़ रहा थो तो ये 2जी में फंसे रहे। सिविल न्यूक्लियर डील की चर्चा थी तो ये कैश फॉर वोट में फंसे रहे। 2010 में कॉमनवैल्थ गेम्स हुए। उसके घोटाले में पूरा देश बदनाम हो गया। 2004 से 2014 आजादी के इतिहास में घोटाला का दशक रहा। यूपीए के उन दस सालों में भारत के हर कोने में आतंकवादी हमलों का सिलसिला चलता रहा। हर नागरिक असुरक्षित था। चारों तरफ ये सूचना रहती थी किसी अनाजानी चीज को हाथ मत लगाना। 10 साल में कश्मीर से लेकर पूर्वोत्तर तक देश हिंसा का शिकार था। हार्वर्ड में ‘द राइज एंड डिक्लाइन इंडियाज कांग्रेस पार्टी’ नामक एक अध्ययन किया गया। भविष्य में कांग्रेस के पतन पर कई बड़े विश्वविद्यालयों में अध्ययन किया जाएगा। 2004-14 के दौरान वॉयस ऑफ इंडिया को इतना कमजोर कर दिया गया था कि दुनिया ने हमारी आवाज सुनने तक की जहमत नहीं उठाई।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष ने 9 साल आलोचना करने की जगह आरोप में गंवा दिए। चुनाव हार जाओ तो ईवीएम को गाली, चुनाव आयोग को गाली। कोर्ट में फैसला पक्ष में नहीं आया तो सुप्रीम कोर्ट की आलोचना, भ्रष्टाचार की जांच हो रही हो तो जांच एजेंसियों को गाली, सेना अपना पराक्रम दिखाए तो सेना को गाली, सेना पर आरोप। कभी आर्थिक प्रगति की चर्चा हो.. तो यहां से निकल रिजर्व बैंक को गाली। प्रधानमंत्री ने शायराना अंदाज में विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा–इन जैसों के लिए कवि दुष्यंत कुमार ने बहुत अच्छी बात कही है–तुम्हारे पांव के नीचे कोई जमीन नहीं, कमाल यह है फिर भी तुम्हें यकीन नहीं…बिना सिर-पैर की बातें करने के आदि होने के कारण इनको यह भी याद नहीं रहता कि पहले क्या कहा था। उल्लेखनीय है कि पीएम मोदी ने विपक्ष पर हमले में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन उद्यमी गौतम अडाणी को लेकर चुप्पी साधे रही। राहुल का कल का भाषण अडाणी पर ही केन्द्रित था। उन्होंने पीएम से अडाणी के साथ संबंध पर सवाल भी पूछे। पर मोदी की ओर से आज इस बारे में कोई बात नहीं की गई। राहुल के सवालों को भी उन्होंने पूरी तरह नजरंदाज किया।
