वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन में चल रहे तनाव के बीच, सैन्य खुफिया एजेंसियों ने भारतीय सैनिकों द्वारा व्यावसायिक रूप से उपलब्ध चीनी मोबाइल फोन के इस्तेमाल के खिलाफ एडवाइजरी जारी की है। सूत्रों ने बताया कि सीमा पर तैनात सैनिकों से सावधानी बरतने और अपना फोन किसी दूसरी कंपनी में बदलने का अनुरोध किया गया है।
एडवाइजरी की सूची में भारतीय बाजार में मौजूद चीनी मोबाइल ब्रांडों– वनप्लस, ओप्पो और रियलमी को शामिल किया गया हैं। एडवाइजरी में सैनिकों और उनके परिवारों को भारत के लिए शत्रुतापूर्ण’ रवैया रखने वाले देशों में बने मोबाइल फोन खरीदने या इस्तेमाल करने से बचने को कहा गया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की सलाह का मसौदा तैयार किया गया है, लेकिन इसे अभी तक प्रसारित नहीं किया गया है। संदेश हमेशा स्पष्ट होता है। हर कोई चीन की मंशा और उस देश में बने मोबाइल फोन का उपयोग करने में शामिल जोखिम को जानता है। चीनी मोबाइल ऐप्स और फोन के उपयोग से संबंधित डेटा उल्लंघनों और जोखिमों के मुद्दे को पहली बार 2020 में सामने लाया गया था। गलवान घाटी में झड़प के बाद भारत सरकार ने कई चाइनीज मोबाइल ऐप्स पर बैन लगा दिया था, लेकिन खतरा सिर्फ ऐप्स तक सीमित नहीं है। कई विशेषज्ञों ने चीन निर्मित फोनों से जुड़े जोखिमों की ओर भी इशारा किया है, जिनका इस्तेमाल जासूसी या संवेदनशील जानकारी एकत्र करने के लिए किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, किसी को चीन जैसे देश पर भरोसा नहीं करना चाहिए। उसके मोबाइल उपकरण हमारे सैनिकों और तैनाती के स्थान का पता लगा सकते हैं और इसलिए एजेंसियां सतर्क हैं। रक्षा एजेंसियों ने सिफारिश की है कि सभी यूनिट्स अन्य फोन पर स्विच करें या 30 मार्च, 2023 तक पूर्णता रिपोर्ट में शामिल मोबाइल फोन के स्थान पर दूसरी कंपनी का मोबाइल इस्तेमाल करें।
