राजस्थान की गहलोत सरकार ने अब गांवों में भी इंदिरा रसोई खोलने का निर्णय लिया है। राज्य के सभी 33 जिलों के एक हजार गांवों में ये रसोई खोली जाएंगी।
सरकार की ओर से तैयार किए गए प्रस्ताव के तहत राज्य के कुल 901 कस्बों में ये रसोई खोली जाएगी। इसमें 5 से 10 हजार की जनसंख्या वाले कस्बे में एक, 10 से 20 हजार की जनसंख्या वाले कस्बे में 2 और 20 हजार से ज्यादा जनसंख्या वाले कस्बे में 3 रसोई खोली जाएंगी। इस तरह पूरे 33 जिलों के 901 ग्रामीण इलाकों में कुल 991 रसोई खोली जाएगी।
शहरों में खुली रसोई की तर्ज पर ही गांवों में भी रसोई के लिए सरकार जगह या जमीन मुफ्त उपलब्ध करवाएगी। इसके लिए ब्लॉक विकास अधिकारी (बीडीओ) या जिला परिषद सीईओ को जिम्मेदारी दी गई है। हर जिले में कलेक्टर की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई है, जो टेंडर करके रसोई का संचालन करने वाली फर्म या संस्था का चयन करेगी।
स्वायत्त शासन विभाग ने जिलों में अभी कुछ गांवों और कस्बों की जनसंख्या के अनुसार रसोई खोलने का प्रस्ताव तैयार किया है। इसमें जयपुर जिले के 84 गांवों में 92 जगहों पर ये रसोई शुरू की जाएंगी, जो राज्य में सबसे ज्यादा होंगे। इसी तरह जैसलमेर जिले के तीन ग्रामीण कस्बों मोहनगढ़, रामगढ़ और नाचना में एक-एक यानी कुल 3 रसोई खोली जाएगी।
इसी तरह उदयपुर में 12, जोधपुर 54, अजमेर 32, अलवर 46, बांसवाड़ा 18, बारां 16, बाड़मेर 30, भरतपुर 31, भीलवाड़ा 29, बीकानेर 74, चित्तौड़गढ़ 18, चूरू 32, दौसा 26, डूंगरपुर 17, हनुमानगढ़ 38, जालौर 60, झालावाड़ 11, झुंझुनूं 47, करौली 20, नागौर 69, पाली 52, सवाई माधोपुर 31, सीकर 55, सिरोही 23, टोंक 19, राजसमंद 6, प्रतापगढ़ 4, कोटा 7, बूंदी 5, धौलपुर 9 और गंगानगर में 5 जगहों पर रसोई खोली जाएगी।
सरकार की ओर से इंदिरा रसोई में आमजन को 8 रुपए में दिन और 8 रुपए में शाम का भोजन उपलब्ध करवाया जाता है, जिसमें दाल, सब्जी, चपाती और आचार दिया जाता है। हर दिन एक रसोई में अधिकतम 200 लोगों (100 सुबह और 100 शाम) के खाने की व्यवस्था रहती है। सरकार ने कोविड के समय इस रसोई का शुभारम्भ किया था। वर्तमान में ये प्रदेश की 213 से ज्यादा निकाय क्षेत्रों में संचालित है।
