राहुल को दो साल की सजा, जमानत

‘सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है…’ इस बयान से जुड़े मानहानि केस में राहुल गांधी को सूरत कोर्ट ने गुरुवार को दोषी करार दिया। कोर्ट ने उन्हें 2 साल की सजा और 15 हजार का जुर्माना लगाया। इसके कुछ देर बाद उसी कोर्ट ने उन्हें जमानत देते हुए सजा को 30 दिन के लिए स्थगित कर दिया। सुनवाई के दौरान राहुल कोर्ट में मौजूद रहे।

राहुल ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा। उनके वकील के अनुसार राहुल ने कहा कि बयान देते वक्त मेरी मंशा गलत नहीं थी। मैंने तो भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई थी। उधर, कोर्ट के बाहर विधायक और याचिकाकर्ता पूर्णेश मोदी और उनके समर्थकों ने भारत माता की जय और जय श्रीराम के नारे लगाए।

राहुल गांधी ने दोषी ठहराए जाने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा, मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। महात्मा गांधी का हवाला देते हुए उन्होंने हिंदी में ट्वीट में किया, मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है, सत्य मेरा भगवान है और अहिंसा इसे पाने का एक तरीका है। वहीं, प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी (हिंदी में) ट्वीट कर कहा, राहुल गांधी की आवाज को दबाने के लिए भयभीत शक्तियां सभी हथकंडे अपना रही हैं, लेकिन मेरे भाई कभी नहीं डरे है, और न डरेंगे। हम सच बोलते हुए जीते हैं, हमेशा सच बोलेंगे और देश के लिए आवाज उठाते रहेंगे।

राहुल पर पिछले 4 साल से मानहानि का मामला चल रहा था। कोर्ट ने 17 मार्च को इस मामले में सभी दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। राहुल को आईपीसी की धारा 400 और 500 के तहत दोषी करार दिया गया है। इसमें 2 साल की सजा का प्रावधान है। राहुल के वकील ने कोर्ट से कहा- इस पूरी घटना में कोई घायल नहीं हुआ। इससे किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। इसलिए हम किसी प्रकार की दया की याचना नहीं करते हैं।

जुलाई 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अदालतों में 2 साल या उससे ज्यादा की सजा पाए जनप्रतिनिधियों (विधायकों-सांसदों) की सदस्यता रद्द कर दी जाएगी। इसी आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि जो सांसद या विधायक सजा को ऊपरी अदालत में चुनौती देंगे, उन पर सदस्यता रद्द करने का आदेश लागू नहीं होगा।

राहुल गांधी के वकील ने कहा- हम फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे। हायर कोर्ट में अपील करने के लिए राहुल गांधी के पास 30 दिन का वक्त है। रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट 1951 के सेक्शन 8 (3) के मुताबिक 2 साल की सजा होने के बाद टेक्निकली राहुल गांधी की सदस्यता जा सकती है। बशर्ते ये सजा सुप्रीम कोर्ट से भी बरकरार रहे।

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