राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में आंदोलन कर रहे निजी अस्पतालों तथा डॉक्टरों पर शिकंजा कसने की तैयारी शुरू हो गई है। इसके लिए सरकार ने पुलिस और चिकित्सा विभाग को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। दोनों विभाग अब निजी अस्पतालों की कुंडली बनाने में जुट गए है। जयपुर पुलिस आयुक्त कार्यालय से सभी थानाधिकारियों को पत्र लिखकर निजी अस्पतालों के बारे में जानकारी मांगी गई है। वहीं निदेशालय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवायें की ओर से भी आदेश जारी किया गया है, जिसमें सभी सीएमएचओ से निजी अस्पतालों के बारे में जानकारी मांगी गई है।
जयपुर पुलिस कमिश्नरेट की ओर से जारी आदेश में अस्पताल का नाम, संचालक/मालिक का नाम, अस्पताल में बैड की संख्या, वर्तमान स्थिति चालू या बंद के बारे में जानकारी मांगी गई है। वहीं निदेशालय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवायें की ओर से जारी आदेश में जिले का नाम, अस्पताल का नाम मय पूर्ण पता, संचालक/ मालिक का नाम व मोबाइल नंबर, अस्पताल में बैडों की संख्या व वर्तमान स्थिति चालू या बंद की जानकारी मांगी गई है।
इधर, आंदोलनरत डॉक्टर जयपुर में 27 मार्च को बड़ी रैली निकालने की तैयारी में हैं। वहीं, आंदोलन में शामिल सरकारी अस्पतालो के मेडिकल ऑफिसरों की यूनियन अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ (अरिसदा) भी अपना विरोध तेज करने जा रही है। इन्होंने 29 मार्च को एक दिन सामूहिक अवकाश करने का फैसला किया है। अगर ऐसा होता है तो इस दिन प्रदेशभर की 2 हजार से ज्यादा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (पीएचसी) और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी) बंद रह सकते है। क्योंकि इनमें ज्यादातर डॉक्टर मेडिकल ऑफिसर रैंक के ही होते है जो इस आंदोलन में शामिल है।
इस लड़ाई में रेजिडेंट डॉक्टर व अन्य चिकित्सक संगठन भी उनके साथ आ गए है। इससे जयपुर, जोधपुर, कोटा, अजमेर, उदयपुर तथा बीकानेर मेडिकल कॉलेज में रेजिंडेट डॉक्टरों की हड़ताल से अस्पतालों के हालात बिगड़ गए है। सीनियर डॉक्टर मरीजों को देख रहें है, लेकिन मरीजों को भर्ती कम से कम किया जा रहा है। बहुत ज्यादा गंभीर होने पर ही मरीज को भर्ती किया जा रहा है, जिसकी वजह से प्रदेशभर में मरीजों के हालात दयनीय हो गए है।
