अमर होने का तरीका तो वैज्ञानिक काफी समय से खोज रहे हैं, अब उन्होंने एक डेडलाइन दे दी है, जिसके बाद हर इंसान अमर हो सकेगा। उनके अनुसार साल 2045 तक अगर कोई जी जाए, तो फिर मौत का सवाल ही पैदा नहीं होगा। वो हमेशा के लिए दुनिया में रह सकता है। इसपर काम भी शुरू हो चुका है।
इंटरनेशनल नॉनप्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन- ह्यूमेनिटी प्लस के साइंटिस्ट डॉक्टर जोस कॉर्डिरो का दावा है कि कुछ ही सालों बाद अमरता का सीक्रेट खुल चुका होगा। उनके अनुसार साल 2030 में जीवित लोग साल-दर-साल अपनी उम्र बढ़ा सकेंगे और 2045 के बाद वैज्ञानिक जमात लोगों को अमर बनाना शुरू कर देगी।
वैज्ञानिक के अनुसार रोबोटिक्स और एआई की मदद से उम्र बढ़ती चली जाएगी और फिर एक समय ऐसा आएगा, जब इंसान सदियों तक जी सकेगा। डॉक्टर कॉर्डिरो ने तर्क देते हुए कहा कि पहले औसत उम्र कम हुआ करती थी, लेकिन अब बढ़ चुकी है। जैसे साल 1881 के आसपास भारत में औसत आयु सिर्फ 25.4 साल थी, जो 2019 में बढ़कर 69.7 साल हो गई। इसी फॉर्मूला पर डीएनए की एजिंग को रिवर्स एजिंग में बदल दिया जाएगा।
डॉक्टर कॉर्डिरो के दावे के पीछे हार्वर्ड और बोस्टन की लैब में हुआ वो शोध है, जिसमें बूढ़े चूहों की उम्र पलटकर उन्हें युवा बना दिया गया। यहां तक कि उम्र के कारण कमजोर पड़ी नजर भी ठीक हो गई। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल और बोस्टन यूनिवर्सिटी के इस संयुक्त शोध को वैज्ञानिक पत्रिका सेल में जगह मिली। इस बारे में शोधकर्ता डेविड सिनक्लेअर ने साफ कहा कि उम्र रिवर्सिबल प्रोसेस है, जिसके साथ छेड़छाड़ की जा सकती है। सेल में प्रकाशित इस शोध का नाम है- ‘लॉस ऑफ एपिजेनेटिक इंफॉर्मेशन एज कॉज ऑफ मैमेलियन एजिंग’। लैब में चूहों पर हुए इस प्रयोग में साफ दिखा कि उम्र को पीछे लौटाकर उसे युवा बनाया जा सकता है। एक चौंकाने वाली बात ये भी नजर आई कि उम्र न केवल पीछे लौटती है, बल्कि उसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है। मतलब, समय से पहले किसी को बड़ा या बूढ़ा किया जा सकता है।
शोध इस धारणा पर शुरू हुआ कि शरीर में अपनी युवावस्था की बैकअप कॉपी रहती है। इस कॉपी को ट्रिगर किया जाए तो कोशिकाएं रीजेनरेट होने लगेंगी और उम्र पीछे लौटने लगेगी। इस प्रयोग से ये यकीन भी गलत साबित हुआ कि उम्र बढ़ना जेनेटिक म्यूटेशन का नतीजा है, जिससे डीएनए कमजोर पड़ते जाते हैं। या फिर कमजोर पड़ चुकी कोशिकाएं शरीर को भी समय के साथ कमजोर बना देती हैं। लगभग सालभर चली रिसर्च के दौरान बूढ़े और कमजोर नजर वाले चूहों में ह्यूमन एडल्ट स्किन की सेल्स डाली गईं, जिससे कुछ ही दिनों में वे वापस देखने लायक हो गए। इसके बाद इसी तरीके से ब्रेन, मसल और किडनी सेल्स को भी पहले से कहीं युवावस्था में पहुंचाया जा सका।
