बिहार में हो रही जातीय जनगणना में रिश्तेदारों समेत अलग-अलग जाति और वर्ग के लिए कोड बनाए गए हैं। आगे विभिन्न वर्गों के लोगों की पहचान एक खास कोड से होगी। दरअसल बिहार में जातीय जनगणना का पहला चरण पूरा हो चुका है। दूसरा चरण 15 अप्रैल से शुरू होने वाला है।
जातीय जनगणना के लिए हर जाति का कोड तय कर दिया गया हैं। इसके साथ ही अलग-अलग वर्ग जैसे रिश्तेदार, शिक्षा, धर्म, पेशा, लैपटाप और वाहनों के लिए भी कोड निर्धारित किए गए हैं। इनके अनुसार कुंवारों के लिए 1 नंबर कोड तय किया गया है। वहीं पत्नी के लिए 14 नंबर का कोड बनाया गया है, जबकि बहू और घर जमाई बाबू अब 7 नंबर के कोड से पहचाने जाएंगे।
जानकारी के अनुसार सास-ससुर के लिए 9 नंबर का कोड तो शादीशुदा लोगों के लिए कोड 2 और तलाकशुदा का कोड 5 निर्धारित किया गया है। बेटे-बेटी के लिए 3, नाती-नातिन, पोते-पोती के लिए 4 नंबर का कोड तय किया गया है, जबकि छात्र के लिए 13 नंबर का कोड रहेगा। घर के पुरुष सदस्य के लिए 1, महिला के लिए 2 और अन्य रिश्तेदारों के लिए कोड 3 नंबर का कोड तय किया गया है। परिवार के मुखिया के लिए 1 नंबर कोड तो पति-पत्नी के लिए 2 नंबर दर्ज किया जाएगा।
बिहार में इस बार हो रही जातीय जनगणना के लिए पूर्व में तय किए गए कोड में भी कुछ संशोधन किए गए हैं। अब कायस्थ का नया कोड 21, कुर्मी-24, कोईरी-26, रविदास-60, ब्राह्मण-126, भूमिहार-142, यादव-165, राजपूत-169 और शेख-181 नंबर से जाने जाएंगे। जाति कोड-206 में भी सुधार किया गया है। इसमें दर्जी (हिंदू) उपनाम श्रीवास्तव/ लाला /लाल /दर्जी दर्ज था, जिसे हटाकर सिर्फ दर्जी (हिंदू) कर दिया गया है। एक बदलाव किन्नरों को लेकर भी हुआ है। इनके लिए कोड 22 तय किया गया है। 15 अप्रैल से शुरू हो रही जातीय जनगणना में थर्ड जेंडर को जाति के रूप में दर्ज किया जाएगा। मतलब, थर्ड जेंडर के शख्स का जन्म भले किसी भी जाति में हुआ हो, उसके लिए इस जातीय जनगणना में जाति किन्नर, कोथी, हिजड़ा, थर्ड जेंडर होगी। कुल 214 तरह की जातियों की गणना 15 अप्रैल से की जानी है, जिनकी कोई जाति नहीं होगी उनके लिए 215वां नंबर होगा।
अंग्रेजों के जमाने के बाद बिहार में पहली बार हो रही इस जातीय जनगणना में किन्नरों को लिंग से नहीं, बल्कि इस जाति से पहचान दी गई है। हालांकि कोड निर्धारण के साथ किन्नरों का बड़ा वर्ग इसका विरोध कर रहा है।
