प्रदूषित इलाकों में कैंसर की आशंका 73%

लगातार तीन साल तक अधिक वायु प्रदूषण वाले इलाके में रहने से फेफड़ों के कैंसर की आशंका कई गुना बढ़ जाती है। यह खुलासा 33 हजार लोगों पर की गई स्टडी में हुआ है। इनके फेफड़ों में बेहद बारीक प्रदूषणकारी कण पाए गए। जिनकी वजह से एपिडर्मल ग्रोथ फैक्टर रिसेप्टर (ईएफजीआर) आधारित कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है। शोधकर्ता चार्ल्स स्वैंटन कहते हैं कि जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती जाती है, हमारे शरीर में कैंसर को बढ़ाने वाली कोशिकाएं बढ़ती जाती है। आमतौर पर यह सक्रिय नहीं रहतीं, लेकिन वायु प्रदूषण इन कोशिकाओं को सक्रिय कर देते हैं।

फेफड़ों के कैंसर की प्रमुख वजह वायु प्रदूषण ही है। सबसे ज्यादा नुकसान पर्टिकुलेट मैटर (पीएम) करते हैं। इनसे धरती का कोई भी हिस्सा नहीं बचा है। इनकी वजह से हर साल 80 लाख लोगों की मौत होती है। सबसे ज्यादा खतरा पीएम 2.5 से होता है। स्टडी के अनुसार तीन साल तक ज्यादा पीएम 2.5 कणों वाले इलाके में रहने से कैंसर होने की आशंका कई गुना बढ़ जाती है।

इस स्टडी के बाद यूके बैंक में रखे चार लाख से ज्यादा लोगों के डेटा का भी एनालिसिस किया गया। उसमें भी यही बात सामने आई। कनाडा के उच्च वायु प्रदूषण वाले इलाके में रहने 228 नॉन-स्मोकर यानी धूम्रपान नहीं करने वाले लोगों के फेफड़ों की जांच से पता चला कि पीएम 2.5 की वजह से उनमें कैंसर होने की आशंका 40 से बढ़कर 73 फीसदी हो गई है।

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.