बीकानेर जिले में खेजड़ी के पेड़ों पर इसबार सांगरी की अच्छी पैदावार हुई है। मगर सांगरी की मांग व कीमत देखकर ग्रामीण मुनाफा कमाने के चक्कर में हाथ-पैर तुड़वा रहे हैं। खेजड़ी के पेड़ से सांगरी तोड़ते समय पेड़ से गिरने से इस साल अब तक 13 लोग घायल हो चुके हैं। इनमें आठ बच्चे भी शामिल हैं।
ये हादसे चिंता का विषय हैं, लेकिन प्रशासन को इन्हें रोकने का कोई कारगर उपाय नहीं सूझ रहा है। शहर के पीबीएम अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार इन दिनों खेजड़ी के पेड़ से गिरकर घायल हुए बच्चे व बड़े ट्रोमा सेंटर पहुंच रहे हैं।
मई में खेजड़ी के पेड़ों पर फूल लगने लगते हैं। पहले पखवाड़े में सांगरी होती है और बाद में यह खोखे में तब्दील हो जाती है। ऐसे में मई के पहले सप्ताह से ही खेजड़ी तोड़ने के दौरान लोगों के घायल होने का सिलसिला शुरू हो गया है। सप्ताहभर से हर दिन खेजड़ी तोड़ने के दौरान पेड़ से गिरकर घायल होने के मामले आ रहे हैं।
हरी सांगरी इन दिनों बाजार में 400 से 500 रुपए किलो बिक रही है। सूखने के बाद इसकी कीमत दोगुना हो जाती है। सूखी सांगरी 1000 रुपए से 1200 रुपए में बिकती है। सांगरी का आचार व सब्जी बनाने में सर्वाधिक उपयोग किया जाता है। यह शाही सब्जियों में शामिल है और हाल-फिलहाल तो सांगरी की सब्जी विशेष तौर से शादी व बड़े भोज कार्यक्रमों में ही बनाई जाती है।
इस बार गर्मी के महीनों में भी बारिश अधिक होने से पेड़ों की बढ़वार अच्छी है। मौसम शुष्क व ठंडा रहने से पुष्प समय पर अच्छा आया। वर्षा की अवधि में अधिकता से फलियों की जगह पेड़ों में गांठे पड़ीं, लेकिन इन मिश्रित परिस्थितियों में धोरों की खेजड़ी ने अच्छी पैदावार दी। एक पेड़ से अधिकतम 20 से 25 किलो सांगरी की पैदावार होती है।
सांगरी काफी पौष्टिक होती है। प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत है। साथ ही पूरी तरह से ऑर्गेनिक होती है। सांगरी पेट के रोगों और मधुमेह में रामबाण का काम करती है। खेजड़ी का पेड़ मिट़्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाता है। खेजड़ी की सांगरी के साथ-साथ पत्तियां भी पौष्टिक आहार हैं। सांगरी सूखने के बाद खोखा बन जाती है, जिसे प्रोटीन के रूप में काम लिया जा सकता है।
