अडानी-हिंडनबर्ग मामले में जांच के लिए शुक्रवार को सेबी ने सुप्रीम कोर्ट ने छह महीने का वक्त मांगा। कोर्ट ने इस मांग को नकारते हुए कहा सिर्फ तीन माह में जांच पूरी कर कोर्ट में जमा कराएं। 15 मई को अगली सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह सेबी को अडानी ग्रुप के शेयर की कीमत में हेरफेर के आरोपों की जांच के लिए सिर्फ तीन माह का ही विस्तार दे सकता है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहाकि, छह महीने का समय सही नहीं है। हम 14 अगस्त के आस—पास सुनवाई करेंगे और तीन महीने के भीतर आप जांच पूरी कर लें। सेबी के तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि मामले को देखते हुए छह महीने का और समय चाहिए।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने छह सदस्यीय कमेटी भी बनाकर दो महीने के अंदर रिपोर्ट मांगी थी। 8 मई को कमेटी ने बंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सौंप दी। चीफ जस्िहीनस ने कहा, जस्टिस सप्रे कमेटी की रिपोर्ट आ गई है। हम वीकेंड के दौरान इस रिपोर्ट को देखेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने सेबी के सेक्शन 19 का कोई उल्लंघन हुआ है या नहीं, इस बारे में दो माह में जांच कर रिपोर्ट देने को कहा था। साथ ही इस बारे में भी जांच करने को कहाकि, क्या अडानी ग्रुप के स्टॉक्स के भाव में किसी प्रकार की छेड़छाड़ की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने सेबी से कोर्ट की बनाई कमिटी को सभी प्रकार की जानकारियां उपलब्ध कराने का आदेश दिया था। पर सेबी का कहना है कि, दो महीनो में इसकी जांच पूरी नहीं की जा सकती और उसे इसके लिए छह महीने का समय चाहिए। जिसका याचिकाकर्ता ने विरोध किया।
हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी 2023 को अडानी ग्रुप के खिलाफ अपनी एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में दावा किया गया कि अडानी ग्रुप की कंपनियां 80 प्रतिशत ओवर—वैल्यूड हैं। यह ग्रुप हेरफेर करके शेयरों के दाम बढ़ाता है। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों के मूल्यों में भारी गिरावट देखने को मिली थी।
