
सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक अब ‘मेटा’ नाम से जानी जाएगी।फेसबुक वॉट्सऐप, इंस्टाग्राम समेत कई कंपनियों की पेरेंट कंपनी है। इसके सीईओमार्क जुकरबर्ग अपने सभी छोटे-बड़े प्लेटफॉर्म को एक कंपनी के अंदर लाना चाहते थे। इस वजह से उन्होंने मेटावर्स तैयार की है। मेटावर्स अब 93 कंपनियों की पेरेंट कंपनी बन चुकी है। जुकरबर्ग का मानना है कि टेक्नोलॉजी की शुरुआत हमने की थी और हम इस रेस में पीछे नहीं रहना चाहते। इसी वजह से मेटावर्स को तैयार किया गया है।
वर्चुअल रियलिटी के अगले चरण को मेटावर्स कहा जाता है। आसान शब्दों में कहा जाए तो मेटावर्स एक तरह की आभासी दुनिया होगी। इस तकनीक से आप वर्चुअल आइडेंटिटी के जरिए डिजिटल वर्ल्ड में एंटर कर सकेंगे। मतलब, एक समानांतर दुनिया, जहां आपकी अलग पहचान होगी। उस समानांतर दुनिया में आप घूमने, सामान खरीदने से लेकर, इस दुनिया में ही अपने दोस्तों-रिश्तेदारों से मिल सकेंगे। भविष्य में इस टेक्नोलॉजी के एडवांस वर्जन से चीजों को छूने और स्मेल करने का अहसास कर पाएंगे। मेटावर्स शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल साइंस फिक्शन लेखक नील स्टीफेन्सन ने 1992 में अपने नोबेल ‘स्नो क्रैश’ में किया था। मेटावर्स नाम होने से यूजर के फेसबुक, वॉट्सऐप, इंस्टाग्राम अकाउंट पर इसका कोई असर नहीं होगा। यूजर्स अपने लॉगइन आईडीऔर पासवर्ड से इन सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का पहले की तरह इस्तेमाल कर पाएंगे। ये हो सकता है कि आने वाले दिनों में कंपनी फेसबुक समेत इंस्टाग्राम, वॉट्सऐप, ऑकुलस जैसे ऐप को मेटावर्स के साथ जोड़ दे। तब सिंगल लॉग-इन पर यूजर सभी ऐप को इस्तेमाल कर पाएगा। इससे कंपनी को ये फायदा होगा कि जो यूजर इनमें से किसी ऐप को कई दिन तक ओपन नहीं करते, वो भी हमेशा ओपन रहेगा।