कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पांच राज्यों में पार्टी की करारी हार के बाद ट्वीट कर हार स्वीकार की है। उन्होंने पिछले 9 सालों में 11वीं बार हार स्वीकार करने की बात कही है। इससे पहले राहुल गांधी बंगाल चुनाव (2021), लोकसभा चुनाव (2019), मेघालय-त्रिपुरा-नागालैंड (2018), यूपी-पंजाब-गोवा-उत्तराखंड (2017), गुजरात (2017), बंगाल-असम (2016), दिल्ली (2015) हरियाणा-महाराष्ट्र (2014), लोकसभा चुनाव (2014), दिल्ली (2013) और राजस्थान (2013) चुनाव में ट्वीट कर हार स्वीकार करने की बात कह चुके हैं।
2015 में दिल्ली विधानसभा में चुनाव हारने के बाद राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा था कि हम आम आदमी पार्टी की रणनीति से सीख लेंगे और आगे काम करेंगे। दिलचस्प बात यह है कि जिस आप से राहुल गांधी ने सीख लेने की बात कही थी, उसी ने पंजाब में कांग्रेस को करारी मात दी है।
पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने भी ट्वीट कर लिखा कि जनता की आवाज भगवान की आवाज होती है। इस जनादेश को हम स्वीकार करते हैं। आम आदमी पार्टी को जीत के लिए बधाई। सिद्धू अमृतसर ईस्ट सीट से चुनाव हार गए हैं।
राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले पांचों राज्यों में मिली करारी हार के चलते कांग्रेस में विरोधी खेमा फिर मजबूत होगा। इन नतीजों ने ममता बनर्जी के उस बयान को भी हवा दे दी, जिसमें उन्होंने कहा था कि यूपीए नाम की कोई चीज अब नहीं बची है।
विधानसभा चुनाव में पहले दौर की वोटिंग से पहले ही विपक्षी खेमे में यह सुगबुगाहट थी कि कांग्रेस तेजी से अपनी क्षमता खोती जा रही है। अब उसमें भाजपा विरोधी खेमे को संभालने की क्षमता नहीं रही। अब आप ने पंजाब में और भाजपा ने उत्तराखंड और गोवा में कांग्रेस को तगड़ा झटका दिया। ऐसे में कांग्रेस अस्तित्व के संकट की ओर देख रही है। देखना यह होगा कि कौन नेता बोलने और नेतृत्व को आईना दिखाने की हिम्मत करेगा। कुछ नेताओं ने भविष्यवाणी की है कि कांग्रेस विभाजन की ओर बढ़ सकती है।
