राजस्थान में रीट लेवल-1 में 15,500 टीचर्स की भर्ती से पहले शिक्षा विभाग एक-एक सफल परीक्षार्थी के दस्तावेजों का सत्यापन कर रहा है। इस दौरान बड़ी संख्या में ऐसे परीक्षार्थी भी सामने आए हैं, जिनके सर्टिफिकेट और डिग्री पर सवाल खड़े हो गए हैं। बताया जा रहा है कि सैकड़ों परीक्षार्थी के फॉर्म ही निरस्त होने वाले हैं। इनमें सर्वाधिक स्पेशल टीचर्स पोस्ट के आवेदक हैं।
इस भर्ती में राज्यभर में स्पेशल टीचर्स की भी नियुक्ति हो रही है, जो दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने का काम करेंगे। इन स्पेशल टीचर्स के लिए तय योग्यता के अनुसार दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने के लिए विशेष कोर्स राष्ट्रीय स्तर के मान्यता प्राप्त इंस्टीट्यूट से करना होता है। महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश की कुछ संस्थाओं ने बड़ी संख्या में सर्टिफिकेट जारी किए हैं, जिनको शिक्षा विभाग नहीं मान रहा है। ऐसे में इन संस्थाओं से डिग्री व सर्टिफिकेट कोर्स करने वाले आवेदकों को अमान्य माना जा रहा है। इनकी संख्या 200 से ज्यादा बताई जा रही है। मध्यप्रदेश की एक ही संस्था के 100 से ज्यादा सर्टिफिकेट अस्वीकार किए जा रहे हैं। हालांकि विभाग इस मामले में आवेदकों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है, क्योंकि उन्होंने तो प्राप्त सर्टिफिकेट ही लगाया है। जिस संस्था ने सर्टिफिकेट दिए हैं, उनको मान्यता नहीं है।
इसके अलावा राजस्थान से बाहर की यूनिवर्सिटी के सर्टिफिकेट लगाने वाले परीक्षार्थियों के रिकॉर्ड की भी गहनता से जांच हो रही है। राजस्थान की जिस यूनिवर्सिटी के सर्टिफिकेट लगाए गए हैं, उनसे लिखित में लिया जा रहा है कि इस परीक्षार्थी ने संस्थान से डिग्री की है या नहीं? शिक्षा विभाग अपने स्तर पर टीम बनाकर यूनिवर्सिटी की डिग्रियों की छानबीन कर रहा है। छानबीन का काम पूरा होने के बाद प्रारम्भिक शिक्षा निदेशालय की ओर से अंतिम कटऑफ जारी की जाएगी। राज्यस्तरीय कटऑफ के बाद शिक्षा विभाग हर जिले को परिक्षार्थी अलॉट करेगा। जिला शिक्षा अधिकारी इनकी नियुक्ति करेंगे। जरूरत के हिसाब से स्कूल में पोस्टिंग दी जाएगी।
परीक्षार्थियों को स्कूल में जॉइनिंग के समय संबंधित जिले के एसपी से कैरेक्टर सर्टिफिकेट, स्वयं का मेडिकल सर्टिफिकेट, सभी ऑरिजनल डॉक्यूमेंट की जरूरत होगी। साथ ही नियुक्ति पत्र भी स्कूल में पेश करना होगा।
