भारतीय सेना की नियुक्ति प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर बदलाव की तैयारी चल रही है। पिछले दो साल से कोविड-19 के कारण देश में सेना भर्ती के लिए रैलियां या नियुक्ति रुकी हुई है। इसलिए देश में करीब 1.25 लाख सैनिकों के पद खाली हो गए हैं। इनको देखते हुए सेना की तैयारी में लगे छात्र धरना प्रदर्शन भी दे रहे हैं। भर्ती में सभी विसंगतियों को दूर करने के लिए अब कम समय के लिए सेना में नियुक्ति की प्रक्रिया जल्द शुरू होने वाली है। इसे टूर ऑफ ड्यूटी कहा जा रहा है।
उच्च पदस्थ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रस्तावित भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर बदलाव किया जा रहा है। इसके तहत सेना में आधे से ज्यादा सैनिक पांच साल के अंदर ही रिटायर हो जाएंगे। पिछले दो सप्ताह से रक्षा मंत्रालय में इसे लेकर मंथन चल रहा है और अब अंतिम दौर की सहमति बन गई है। सूत्रों के अनुसार रक्षा मंत्रालय में सहमति के बाद जो ड्राफ्ट बना है, उसमें सेना में सभी सैनिकों की भर्ती टूर ऑफ ड्यूटी मॉडल के आधार पर की जाएगी। इसके तहत 25 प्रतिशत सैनिकों की नियुक्ति सिर्फ तीन साल के लिए किए जाएंगे और इसके बाद के 25 प्रतिशत सैनिकों की नियुक्ति पांच साल के लिए की जाएगी। बाकी बचे 50 प्रतिशत जवान सेना में रिटायरमेंट की उम्र तक सेवा दे सकेंगे।
इस नई योजना से सेना को महाबचत होगी, क्योंकि जितनी भी नियुक्तियां की जाएंगी, वे सब अनुबंध के आधार पर होंगी। इसमें सरकार को पेंशन का बिल नहीं भरना होगा। सरकार को सेना पर हुए खर्च का अधिकांश हिस्सा वर्तमान में पेंशन पर खर्च करना पड़ता है। इसका मतलब यह भी नहीं है कि 3 या पांच साल तक सेवा देने वाले सैनिकों को पेंशन मद में कुछ नहीं मिलेगा, बल्कि इन सैनिकों को नेशनल पेंशन स्कीम के तहत सुविधा दी जाएगी और जिस तरह आर्म्ड फोर्सेज के रिटायर कर्मचारियों को मेडिकल सुविधा दी जाती है, उसी तरह से इन्हें भी दी जाएगी।
सूत्रों ने बताया कि 3 या 5 साल वाली सेवा सैन्य अधिकारियों पर लागू नहीं होगी। यह सिर्फ सैनिकों पर लागू होगी। पिछले साल दिसंबर में संसद में दिए गए बयान के अनुसार देश में इस समय 7,476 सैन्य अधिकारियों की कमी है। हालांकि सेना का वर्तमान प्रस्ताव कब से क्रियान्वित होगा, इसके बारे में स्पष्टता नहीं है, लेकिन सेना रक्षा मंत्रालय से इसकी मंजूरी मिलने का इंतजार कर रही है। (साभारः न्यूज18)
