
महाराष्ट्र आबकारी विभाग की ओर से जब्त की गई विदेश शराब को नष्ट करने की प्रक्रिया ने बॉम्बे उच्च न्यायालय को चौंका दिया है। आबकारी विभाग की ओर से दिए गए एक बयान में बताया गया है कि उसने जब्त विदेशी शराब को करीबी नाले में बहा दिया। शराब को नष्ट करने की इस प्रक्रिया हाईकोर्ट ने अधिकारियों को विवेकपूर्ण, सावधानी और कानून के अनुरूप कार्य करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा,हम उम्मीद करते हैं कि आबकारी विभाग कानूनी प्रक्रिया का अनुसरण करते हुए कार्य करेगा। आगे से ऐसा करने के लिए आबकारी विभाग को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मंजूरी लेनी होगी। शराब को इस तरह नष्ट करने के चलते आबकारी विभाग ने बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरे में नहीं डालना चाहिए। जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिस माधव जामदार की खंडपीठ दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। पहली ढल फूड्स एंड बेवरेजेज के मालिक विक्रमजीतसिंह ढल और दूसरी प्रतीक पोपट की ओर से दी गई याचिका। ढल की विदेशी शराब को राज्य के आबकारी अधिकारियों ने कथित अनियमितताओं के कारण जब्त कर लिया था। वहीं पोपट के पास एक परिसर था और वह अपने परिसर को सील करने की मांग कर रहा था।
सुनवाई के दौरानढल ने अदालत को बताया कि उसे अब शराब में कोई दिलचस्पी नहीं है क्योंकि जब्ती तीन साल से अधिक पुरानी थी और ज्यादातर सीमित शेल्फ लाइफ के साथ बीयर और वाइन शामिल थी।
कोर्ट ने बड़ी मात्रा में शराब पर चिंता जताते हुए विभाग से इसे नष्ट करने की प्रक्रिया के बारे में जानना चाहा। अदालत को वर्ष 1953 की एक अधिसूचना दिखाई गई थी, जिसमें दिखाया गया था कि निपटान प्रक्रिया का हिस्सा नीलामी द्वारा किया गया था।कोर्ट उस प्रक्रिया से सहमत नहीं थी और कहा कि नियमों में केवल यह कहा गया है कि विदेशी शराब को नष्ट करना होगा।अदालत ने विभाग से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि वे उचित प्रक्रिया का पालन करें।