
राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए उम्मीजवार द्रौपदी मुर्मू का राजस्थान से गहरा नाता है। वह एक दो बार नहीं, बल्कि कई बार राजस्थान के माउंट आबू और आबूरोड (सिरोही) आ चुकी हैं। अध्यात्म में गहरी रुचि ही मुर्मू को यहां खींच लाई। करीब 13 साल पहले वह माउंटआबू के ब्रह्मकुमारी संस्थान से जुड़ीं। बेटे की मौत के बाद इस संस्थान से उनका रिश्ता और गहरा हो गया। तनाव दूर करने के लिए यहां राजयोग सीखा था। इसके अलावा, संस्थान के कई कार्यक्रमों का भी हिस्सा बन चुकी हैं।
मुर्मू ओडिशा में संथाल आदिवासी समाज से आती हैं। उनका पूरा जीवन संघर्ष से भरा रहा है। साल 2000 में उन्हें विधायक का टिकट मिला। जनता ने उन्हें जिताया भी। वह मंत्री बनीं। 2009 में वे चुनाव हार गईं और अपने गांव लौट आईं। इसी बीच, एक हादसे में उनके बेटे की मौत हो गई। वे तनाव में चली गईं। संस्थान के कार्यकारी सचिव बी.के. मृत्युंजय के अनुसार इसके बाद मुर्मू 2009 में संस्थान से जुड़ीं और राजयोग सीखा। इसके बाद वे लगातार संस्थान के संपर्क में रहीं। समय-समय पर यहां आती रहीं। किसी तरह वे सदमे से बाहर आ पाई थीं। साल 2013 में उनके दूसरे बेटे की भी दुर्घटना में मौत हो गई। 2014 में उन्होंने पति को भी खो दिया। इसके बाद वो अध्यात्म के कुछ ज्यादा ही करीब आ गईं।
द्रौपदी मुर्मू संस्थान के कई कार्यक्रमों में शामिल हो चुकी हैं। 2 बार तो झारखंड की राज्यपाल रहते हुए आईं। 31 जनवरी 2016 को एक कार्यक्रम में वे यहां आई थीं। 8 फरवरी 2020 को मूल्य शिक्षा महोत्सव कार्यक्रम में भाग लेने के लिए संस्थान पहुंची थीं। राष्ट्रपति पद के लिए उनके नाम की घोषणा होने के बाद यहां संस्थान के सदस्यों में खुशी की लहर है। संस्थान के कार्यकारी सचिव बी.के. मृत्युंजय ने फोन कर उन्हें बधाई दी है।
देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनीं प्रतिभा पाटिल भी राष्ट्रपति बनने से पहले ब्रह्मकुमारी संस्थान आ चुकी हैं। वे उस समय राजस्थान की राज्यपाल थीं। जब यूपीए की ओर से उनके नाम की घोषणा हुई थी तो वे माउंट आबू में ही थीं। बतौर राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम और रामनाथ कोविंद भी यहां आ चुके हैं।