राजस्थान सरकार ने मिलावटखोरों को कड़ी सजा दिलाने और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए आईपीसी की धाराओं में संशोधन के लिए केंद्र सरकार को अहम प्रस्ताव भेज रखा है। मगर वहां करीब दस माह से प्रस्ताव अटक पड़ा है। यदि संशोधित कानून लागू होता तो मिलावटखोरों से सरकार सख्ती के साथ निपट सकेगी।
18 सितम्बर 2021 को राजस्थान विधानसभा से दण्ड विधियां राजस्थान संशोधन विधेयक-2021 पास होने के बाद केंद्र को भेजा गया था। उसे जल्द पास करवाने के लिए राज्य सरकार केंद्र से आग्रह कर रही है।
फूड और ड्रिंक्स के साथ ही दवाइयों में मिलावट आईपीसी की धारा 272 से लेकर 276 तक अपराध घोषित हैं। ऐसे उत्पाद को बनाना और बेचना दण्डनीय अपराध है, जो मानव की सेहत के लिए हानिकारक हैं। ऐसे अपराध पर 6 महीने तक की कैद की सजा और एक हजार रुपए जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। केवल धारा 274 में दवा छोड़कर बाकी की धाराओं में यह अपराध असंज्ञेय हैं, जिसमें पुलिस को बिना वारंट गिरफ्तार करने का अधिकार तक नहीं है। धारा 272, 273, 275 और 276 जमानती हैं। इसमें आसानी से जमानत मिल जाती है। इसलिए राजस्थान सरकार ने इन धाराओं में सजा और जुर्माने का प्रावधान बढ़ाने और इन्हें संज्ञेय (बिना वारंट गिरफ्तारी का अधिकार) और गैर जमानती बनाने के लिए संशोधन किया है।
राजस्थान स्वास्थ विभाग के प्रमुख सचिव पृथ्वीराज ने बताया कि केंद्र को बहुत पहले से प्रस्ताव भेजा हुआ है। करीब 10 महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है। भारत सरकार के पास यह लंबित है। पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र जैसे प्रदेशों में जिस तरह मिलवटी खाद्य पदार्थों पर सजा का कठोर प्रावधान है, उसी तर्ज पर आईपीसी की कुछ धाराओं में संशोधन कर कड़ी सजा का प्रावधान राजस्थान सरकार ने किया है।
दोदिन पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ‘शुद्ध के लिए युद्ध’ अभियान के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक में मिलावटखोरी या नकली सामान की सूचना देने वाले को 51 हजार रुपए का ईनाम देने का फैसला लिया है। खाद्य पदार्थों में मिलावट करने और ऐसे उत्पाद बनाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। सूचना देने वाले को अनसेफ फूड पाए जाने पर 51 हजार रुपए और सब-स्टैंडर्ड फूड होने पर 5000 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। बैठक में गहलोत ने कहा कि चालान के वक्त ही प्रोत्साहन राशि का आधा पैसा सूचना देने वाले व्यक्ति को दे दिया जाए।
