दिल्ली हाईकोर्ट ने एक बार फिर यह कहा कि स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन योजना के तहत स्वतंत्रता सेनानियों की विधवा या तलाकशुदा बेटियां पेंशन की हकदार हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने माना कि यह योजना उन्हें लाभ से वंचित नहीं कर सकती है। हाईकोर्ट की एकल पीठ के 10 अगस्त, 2021 को पारित आदेश के खिलाफ अपील में केंद्र सरकार की दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट की 2 सदस्यीय पीठ ने यह टिप्पणी की है।
न्यायमूर्ति राजीव शकधर व न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की खंडपीठ ने कहा कि 1980 की योजना और इसके तहत बनाए गए 2014 के दिशा-निर्देशों को सरसरी तौर पर पढ़ने से पता चलता है कि एक अविवाहित बेटी योग्य आश्रितों की श्रेणी में आती है। इसलिए स्वतंत्रता सेनानी की मृत्यु के बाद पेंशन की हकदार है। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के इस तर्क को खारिज कर दिया कि अविवाहित बेटी शब्द में विधवा और तलाकशुदा बेटियों को शामिल नहीं किया गया है। अगर कोर्ट अनुमति देगी तो इस फैसले से सरकारी खजाने पर बोझ पड़ेगा।
खंडपीठ ने कहा कि अविवाहित शब्द में न केवल वह व्यक्ति शामिल है जो अविवाहित है, बल्कि एक ऐसी महिला भी शामिल है जो विवाहित थी लेकिन तलाकशुदा है। यहां तककि विधवा भी है। हाईकोर्ट ने तर्कों पर विचार करने के बाद कहा कि वर्ष 2014 के दिशानिर्देशों के अनुसार मृतक स्वतंत्रता सेनानी की विधवा को पुनर्विवाह करने की स्थिति में आश्रित व्यक्ति की श्रेणी से बाहर किया जा सकता है, लेकिन कानून एक विधवा को इससे बाहर नहीं करता है।
मामला में इंदिरा कुमारी के पिता स्वतंत्रता सेनानी थे। दिसंबर 1997 में उन्हें पेंशन मिलने लगी। वर्ष 2014 में सरकार ने संशोधित नीति दिशानिर्देश जारी किए कि बैंक उन विवाहित बेटियों को पेंशन दे रहे थे जो पात्र नहीं थीं। इंदिरा कुमारी के पिता की नवंबर 2019 में मृत्यु हो गई थी, इसलिए उन्होंने पेंशन देने के लिए बैंक से संपर्क किया। बैंक ने इंदिरा कुमारी का अनुरोध गृह मंत्रालय को भेज दिया। गृह मंत्रालय ने 12 फरवरी 2020 ने इस अनुरोध को खारिज कर दिया। इस पर इंदिरा कुमारी हाईकोर्ट गईं। जहां हाईकोर्ट की एकल पीठ ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया। अक्टूबर 2021 में उनकी मृत्यु हो गई। नवंबर 2021 में केंद्र सरकार ने अपील दायर की। जब मामला सुनवाई के लिए आया तो सरकार ने कहा कि योजना का लाभ इंदिरा कुमारी को दिया जाएगा, लेकिन अन्य अपील और लंबित आवेदनों को बंद कर दिया गया। बाद में सरकार ने अपना स्टैंड बदलते हुए समीक्षा याचिका दायर की।
