राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के जातिवाद और पंडित को लेकर दिए बयान पर बहस छिड़ गई है। कई लोग भागवत के बयान को सही, तो कई गलत बता रहे हैं। विवाद बढ़ने पर आरएसएस का एक धड़ा मोहन भागवत के बयान के अर्थ को लेकर सामने आया है। सोशल मीडिया पर भी मोहन भागवत के बयान को लेकर टीका-टिप्पणी जारी है। ट्विटर पर ‘भागवत माफी मांगो’ और ‘मोहन भागवत’ ट्रेडिंग में चल रहा है। आरएसएस से जुड़े करोड़ों लोग भी भागवत के बयान पर अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
एक समाचार एजेंसी के अनुसार संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि हमारी समाज के प्रति भी जिम्मेदारी है। जब हर काम समाज के लिए है तो कोई ऊंचा, कोई नीचा या कोई अलग कैसे हो गया? भगवान ने हमेशा बोला है कि मेरे लिए सभी एक हैं, उनमें कोई जाति, वर्ण नहीं है, लेकिन पंडितों ने जाति बनाई, वो गलत था।
अलवर से भाजपा सांसद का महंत बालकनाथ ने मोहन भागवत का समर्थन करते हुए कहा कि प्रत्येक मनुष्य में भगवान का अंश हैं…मोहन भागवत का बयान बिलकुल सही है। वहीं कांग्रेस नेता उदित राज ने कहा कि भागवत ने मान लिया कि ग्रंथों में भेदभाव हुआ है…हम उनके बयान का स्वागत करते हैं। इधर, सोशल मीडिया पर पंकज पांडेय नामक एक यूजर ने लिखा कि अब लगता है कि मोहन भागवत को अपना दिमाग का इलाज करवाने की जरूरत है। एक और बात, हिंदुत्व का चोला हटाकर अब जातिवादी वाला पक्ष आगे कर दो। ताकि लोगों की तुम्हारी सोच का भी पता लग जाए, भागवत जी। जातियां, कर्म के आधार पर शासकों ने बनाई न की ब्राह्मणों ने। विवेक पांडेय नामक एक अन्य यूजर ने लिखा कि वर्णव्यवस्था पर मोहन भागवत को मेरा तथ्यात्मक जवाब। मेरे द्वारा दायर की गई आरटीआई पर एनसीईआरटी ने साफ-साफ कहा है उनके पास इसके कोई सत्यापित तथ्य नहीं है कि जाति व्यवस्था को ब्राह्मणों ने बनाया।
इधर भागवत के बयान पर विवाद बढ़ने के बाद आरएसएस नेता सुनील आंबेडकर ने एक समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहा कि वे (मोहन भागवत) संत रविदास जयंती कार्यक्रम में थे। उन्होंने ‘पंडित’ का उल्लेख किया, जिसका अर्थ है ‘विद्वान’… कुछ पंडित शास्त्रों के आधार पर जाति-आधारित विभाजन की बात करते हैं, यह झूठ है, यह उनका सटीक बयान यह है।
