वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) नीति के तहत पेंशन भुगतान के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर साफ किया कि पेंशन के बकाया को किश्तों में देने के नोटिफिकेशन को वापस लेना होगा। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि रक्षा मंत्रालय कानून को अपने हाथ में लेने का प्रयास न करे। 20 जनवरी के नोटिफिकेशन को वापस लिया जाए। उनको इस तरह स्वत: संज्ञान लेकर नोटिफिकेशन जारी नहीं करना चाहिए था। इसे वापस लें नहीं, तो सचिव को पेश होने को कहेंगे। पहले नोटिफिकेशन को वापस लेने दें, तभी केंद्र की पेंशन बकाया देने के लिए और समय देने की अर्जी पर सुनवाई करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल (एजी) से अगले सोमवार तक पेंशन बकाया के भुगतान को लेकर एक नोट मांगा है। इसमें बताया जाए कि कितना भुगतान बकाया है और इसे कितने समय में चुकाया जाएगा। साथ ही ये बताएं कि बुजुर्ग या विधवा पेंशनर आदि को कैसे प्राथमिकता के तहत पेंशन चुकाई जाएगी? इस मामले में 20 मार्च को अगली सुनवाई होगी।
आज सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकेटरमनी ने कहा कि उन्होंने एक अर्जी दाखिल की है। पेंशन बकाया भुगतान के लिए मंत्रालय को कुछ और समय चाहिए। 31 मार्च तर पहली किश्त चुका दी जाएगी। 27 फरवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि ओआरओपी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करना होगा। अदालती आदेश के बावजूद पेंशन किश्तों में देने का फैसला क्यों लिया गया? सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी कि हम अवमानना नोटिस जारी कर देंगे।
सुनवाई के दौरान सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने दो टूक कहा था कि अदालती प्रक्रिया की शुचिता बनी रहनी चाहिए। यह युद्ध नहीं, बल्कि कानून के शासन की बात है। अपना घर व्यवस्थित करें। रक्षा सचिव अपना 20 जनवरी का नोटिफिकेशन वापस लें। अगर नहीं लिया तो हम रक्षा मंत्रालय को अवमानना नोटिस जारी करेंगे।
20 जनवरी को रक्षा सचिव ने एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा था कि वो ओआरओपी के तहत पेंशन को चार किश्तों में देंगे। इससे पहले 9 जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कहा था कि 15 मार्च तक सभी को भुगतान किया जाए। इस दौरान एजी आर वेंकटरमणि ने कहा था, मैं व्यक्तिगत रूप से इस मामले की निगरानी रख रहा हूं और इसे जल्द ही भुगतान किया जाएगा। 25 लाख पेंशनभोगी हैं। लिस्ट अंतिम स्क्रीनिंग के लिए मंत्रालय के पास आ गई है और यह रक्षा मंत्रालय की वित्त शाखा के पास है।
ओआरओपी का भुगतान सशस्त्र बलों के उन कर्मियों को किया जाता है, जो समान सेवा अवधि के साथ समान रैंक पर सेवानिवृत्त होते हैं। भले ही उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख कुछ भी हो। जुलाई 2022 में भारतीय सेना में लागू वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) को लेकर दायर पुर्नविचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया था। पूर्व सैनिकों की संस्था ‘इंडियन एक्स-सर्विसमेन मूवमेंट’ ने सुप्रीम कोर्ट से इस फैसले पर पुर्नविचार की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने उसे ठुकरा दिया। 16 मार्च 2022 को सशस्त्र बलों में वन रैंक वन पेंशन मामले में केंद्र को बड़ी राहत मिला थी
