राहुल गांधी के संसद सदस्य के तौर पर अयोग्य घोषित होने के बाद जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (आरपीए) का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। इसमें दोषसिद्धि के बाद जनप्रतिनिधियों की स्वतः अयोग्यता को अवैध और मनमाना बताया गया है। याचिका में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(3) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। इसे संविधान के विपरीत घोषित करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि ऑटोमैटिक अयोग्यता समानता के अधिकार का उल्लंघन है।
यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता आभा मुरलीधरन की तरफ से दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया कि चुने हुए प्रतिनिधि को सजा होते ही उनकी सदस्यता जाना असंवैधानिक है। इस धारा के तहत किसी भी जनप्रतिनिधि को 2 साल या उससे ज्यादा की सजा पर उनकी सदस्यता को रद्द किया जाता है। याचिका में कहा गया है कि वायनाड से सांसद राहुल गांधी को अयोग्य घोषित करने के मामले के कारण सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। राहुल गांधी को दोषसिद्धि की तारीख से अयोग्य घोषित किया गया है। हालांकि, अपील का चरण, अपराधों की प्रकृति, अपराधों की गंभीरता और उसका समाज पर प्रभाव आदि कारकों पर विचार नहीं किया जा रहा है और ऑटोमैटिक अयोग्यता का आदेश दिया जाता है।
