जयपुर के सांगानेर इलाके में घर के गैराज में खड़ी कार का बीकानेर में चालान कट गया। चालान मिलने से कार मालिक घनश्याम परेशान है। सांगानेर निवासी सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि उनके भाई घनश्याम के पास एक कार है। 11 अप्रेल में दोपहर सवा बजे भाई के मोबाइल पर ई-चालान मिला। चालान बीकानेर पुलिस की ओर से भेजा गया था।
मगर जो चालान भेजा गया, वह उनकी कार का नहीं है। फोटो भी दूसरी कार की अटैच है। केवल कार के नंबर समान हैं। बीकानेर में जिस दिन व समय पर चालान बनाया गया है, उस समय उनकी कार जयपुर में घर के गैराज में खड़ी थी। पीड़ित का दावा है कि कार लंबे समय से खराब होने के कारण गैराज में खड़ी है। कार बीकानेर तो क्या, जयपुर शहर में भी नहीं चल रही।
वरिष्ठ अधिवक्ता ओपी हर्ष का कहना है कि अक्सर बदमाश प्रवृति के लोग फर्जी नंबर प्लेट लगा कर वारदात करते हैं। कहीं कोई वारदात होती है, तो सीसीटीवी में आने वाले फुटेज के वाहन की बरामदगी की जाती है। बदमाशों ने चूंकि फर्जी नंबर प्लेट लगाकर वारदात की होती है, तो खमियाजा उसे भुगतना पड़ता है, जिसके नाम वह नंबर रजिस्टर्ड है। भले ही वह कार-ट्रक या दोपहिया का ही नंबर निकल जाए। यातायात पुलिस को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार की जरूरत है।
इसी प्रकार बीकानेर की यातायात पुलिस ने करीब ढाई महीने पहले हरियाणा के नारनौल में घर में खड़ी प्रदीप की कार का ई-चालान बना दिया था। चालान मिलने के बाद से कार मालिक परेशान है। पीड़ित प्रदीप ने इस संबंध में बीकानेर पुलिस को पत्र लिखकर चालान को रद्द कराने की गुहार लगाई है।
बीकानेर पुलिस के प्रभारी यातायात रमेश सर्वटा ने कहा कि ई-चालान में कोई फर्जीवाड़ा नहीं किया गया है। पोश मशीन की तकनीकी गड़बड़ी की वजह से गलत चालान बना है। ई-चालान में सुधार कर दिया जाएगा।
