बिहार के गया जिले का एक नाबालिग लड़का मां के इलाज के लिए किडनी बेचने रांची के एक अस्पताल में पहुंच गया। नाबालिग के पास अपनी बीमार मां का इलाज करने के पैसे नहीं थे। पिता दुनिया में नहीं हैं। घर में कमाने वाला भी कोई नहीं है। ऐसे में नाबालिग रांची पहुंचकर किडनी के ग्राहक की तलाश करने लगा।
उसे ग्राहक तो नहीं मिला, लेकिन एक शख्स जरूर मिल गया, जिसने उसकी मुलाकात रिम्स अस्पताल के डॉ. विकास से करवा दी। डॉक्टर ने नाबालिग से कहा कि वह अपनी मां को रिम्स लेकर आए, यहां उनका निशुल्क इलाज किया जाएगा।
जानकारी के अनुसार गया जिले के रहने वाले नाबालिग दीपांशु के पिता की मौत हो चुकी है। उसकी मां ने परवरिश कर उसे बड़ा किया है। होश संभालते ही दीपांशु ने फैसला किया कि वह अपने पैरों पर खड़ा होकर मां का हाथ बंटाएगा। वह रांची आकर एक होटल में काम करने लगा। यहां काम करने के दौरान वह अपनी मां को भी पैसे भेजा करता।
कुछ दिन पहले दीपांशु को खबर मिली कि उसकी मां के पैर टूट गए हैं। उनके इलाज में पैसे लगेंगे। दीपांशु रांची में रिम्स के नजदीक स्थित एक निजी अस्पताल पहुंचा और कहने लगा कि उसे अपनी किडनी बेचनी है, ताकि वह अपनी मां का इलाज करा सके। उसके पास इलाज के लिए पैसे नहीं हैं। अस्पताल का एक कर्मचारी रिम्स के डॉ. विकास को जानता था। डॉ. विकास न्यूरो सर्जरी विभाग में हैं। डॉ. विकास ने कहा कि एक नाबालिग लड़का बिहार के गया जिले से आया था। वह काफी गरीब है। उन्होंने बालक को आश्वासन दिया कि वह मां को रिम्स ले आए, यहां निशुल्क इलाज हो जाएगा।
