
देश के जाने माने गांधीवादी विचारक डॉ. एसएन सुब्बाराव का 92 की उम्र में निधन हो गया। बुधवार सुबह उन्होंने जयपुर के एसएमएस अस्पताल में अंतिम सांस ली। सुब्बाराव को पिछले सप्ताह ही एसएमएस में भर्ती करवाया गया था। मंगलवार शाम उन्हें हार्ट अटैक आया था। बुधवार सुबह उनका निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार गुरुवार को मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के जौरा स्थित गांधी आश्रम में किया जाएगा।
डॉ. सुब्बाराव की पार्थिव देह को यहां विनोबा ज्ञान मंदिर में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सहित कई नेताओं ने वहां पहुंचकर डॉ. सुब्बाराव को श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कल उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने जौरा जाएंगे। गहलोत ने कल शाम को एसएमएस पुहंचकर डॉक्टरों से सुब्बाराव के स्वास्थ्य की जानकारी ली थी।
एसएन सुब्बाराव का जन्म 7 फरवरी 1929 को बेंगलुरु में हुआ था। वे बचपन से ही महात्मा गांधी से प्रभावित थे। 13 साल की उम्र में भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया। सुब्बाराव जीवन भर गांधीवादी मूल्यों के प्रचार में लगे रहे। वे देश-विदेश में कैंप लगाकर युवाओं को गांधीवाद और अहिंसा के बारे में बताते थे। उन्हें 18 भाषाओं का ज्ञान था।जून 2019 में सुब्बाराव ने जयपुर के पास दिल्ली रोड के भानपुर गांव में कैंप लगाया था। गहलोत ने सुब्बाराव से जयपुर में आश्रम बनाकर रहने का आग्रह किया था। सुब्बाराव बीच में कई बार जयपुर आते रहते थे। डॉ. एसएन सुब्बाराव ने चंबल के 600 से ज्यादा डाकुओं से सरेंडर करवाया था। 1972 में मुरैना के जौरा गांधी आश्रम में जयप्रकाश नारायण की मौजूदगी में 450 डकैतों से सरेंडर करवाया था। इसी दौरान धौलपुर में भी 100 से ज्यादा डकैतों ने सरेंडर किया था।