दिल्ली पुलिस ने यूपी-दिल्ली बॉर्डर (गाजीपुर) से शुक्रवार सुबह बैरिकेड्स हटने शुरू हो गए। पहले दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के ऊपर बैरिकेड्स हटाए गए। दिल्ली पुलिस के अधिकारी और जवान मौके पर तैनात थे। क्रेन से बड़े-बड़े पत्थरों को हटाकर साइड में रखा गया। बैरिकेडिंग के ऊपर लगे लोहे के कंटीले तारों को खुद पुलिस जवानों ने कटर से काटा। मौके पर मौजूद दिल्ली पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें ऊपर से आदेश हैं, इसलिए बैरिकेडिंग हटाए गए हैं। एक दिन पहले दिल्ली पुलिस ने दिल्ली से हरियाणा जाने वाले टीकरी बॉर्डर पर एक लेन लगे हुए बैरिकेड्स हटाए थे।
इस बीच भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि उनकी लड़ाई कभी रास्ते की नहीं रही है। उनकी लड़ाई तीन कृषि कानूनों को लेकर है। उन्होंने कहा कि रास्ते खुलेंगे, हम भी अपनी फसल बेचने के लिए संसद भवन जाएंगे। हम 11 महीने से सीमा पर बैठे हैं। हमें दिल्ली जाना है। प्रधानमंत्री ने कहा था कि किसान अपनी फसल कहीं भी बेच सकते हैं। जिन किसानों की फसल नहीं बिक रही है, पहले उस फसल को ट्रैक्टर में संसद भवन के नजदीक ले जाकर बेचा जाएगा। हमने कभी रास्ते नहीं रोके। न ही यह हमारा काम है। हमारी लड़ाई तीन कृषि कानूनों को लेकर है।
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 26 नवंबर 2020 को यूपी के किसान जब दिल्ली जा रहे थे, दिल्ली पुलिस ने उन्हें गाजीपुर सीमा पर बैरिकेड्स लगाकर रोक दिया था। उसी वक्त किसान सीमा पर टैंट-तंबू लगाकर धरने पर बैठ गए। गाजीपुर की तरह सिंघु, टीकरी और शाहजहांपुर बॉर्डर पर भी किसान पिछले 11 महीने से धरने पर बैठे हैं।
पिछले दिनों रास्ता रोकने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि किसान प्रदर्शन कर सकते हैं, लेकिन रास्ता नहीं रोक सकते। इसके बाद गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने एक बड़े तंबू का पर्दा हटाकर यह दिखाने का प्रयास किया था कि रास्ते हमने नहीं, पुलिस ने रोके हैं। माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख के बाद दिल्ली पुलिस बैरिकेडिंग हटा रही है।
