सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के 810वें उर्स का झंडा शनिवार को बुलंद दरवाजे पर चढ़ेगा। इसके साथ ही उर्स की अनौपचारिक शुरूआत हो जाएगी। गरीब नवाज के उर्स की शुरूआत चांद दिखाई देने पर 2 या 3 फरवरी से हो जाएगी। झंडा लेकर भीलवाड़ा का गौरी परिवार अजमेर पहुंच गया है।
झंडे की रस्म शनिवार शाम को भीलवाड़ा के लाल मोहम्मद गौरी के पोते फखरुद्दीन गौरी, सैय्यद मारूफ अहमद साहब नबीरा मुतवल्ली सैय्यद असरार अहमद साहब की सदारत में संपन्न कराई जाएगी। गौरी परिवार के सदस्य फखरुद्दीन गौरी ने बताया कि परंपरा के अनुसार जमादिउस्सानी महीने की 25 तारीख यानी शनिवार को अस्र की नमाज के बाद दरगाह गेस्ट हाउस से झंडे का जुलूस शुरू होगा। लंगर खाना गली, नला बाजार और दरगाह बाजार होते हुए रोशनी की दुआ से पहले जुलूस दरगाह में पहुंचेगा। बाद में झंडा बुलंद दरवाजे पर चढ़ा दिया जाएगा। इस रस्म में शरीक होने के लिए आशिकान ए ख्वाजा यहां पहुंचेंगे।
फखरुद्दीन गौरी ने बताया कि उनका परिवार 78 वर्षों से यह रस्म निभा रहा है। झंडा चढ़ाने की परंपरा 1928 में पेशावर के हजरत सैयद अब्दुल सत्तार बादशाह जान रहमतुल्ला अलैह ने शुरू की थी। इसके बाद 1944 से भीलवाड़ा के लाल मोहम्मद गौरी का परिवार यह रस्म अदा कर रहा है। गौरी परिवार के लाल मोहम्मद गौरी ने 1944 से 1991 तक और उनके बाद मोइनुद्दीन गौरी ने 2006 तक यह रस्म निभाई। इसके बाद फखरुद्दीन गौरी ये रस्म अदा कर रहे हैं।
