
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को राहत देते हुए पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें सरकार की ओर से निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय निवासियों को दिए गए 75 फीसदी आरक्षण पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई थी। हरियाणा सरकार की ओर से निजी क्षेत्र की नौकरियों में प्रदेश के निवासियों को दिए गए 75 प्रतिशत आरक्षण पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने तीन फरवरी को रोक लगाई थी। फरीदाबाद इंडस्ट्रियल एसोसिएशन और अन्य ने हाईकोर्ट को बताया था कि निजी क्षेत्र में योग्यता और कौशल के मुताबिक लोगों का चयन किया जाता है। यदि नियोक्ताओं से कर्मचारी को चुनने का अधिकार ले लिया जाएगा तो उद्योग कैसे आगे बढ़ सकेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को एक महीने में इस मुद्दे पर फैसला करने के लिए कहा और राज्य सरकार को फिलहाल नियोक्ताओं के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाने का निर्देश दिया है।हरियाणा सरकार कानून लेकर आईहै। इसके तहत प्रदेश में जो प्राइवेट कंपनियां हैं उनमें 75 फीसदी नौकरियां हरियाणा के डोमिसेल रखने वाले यानी स्थानीय लोगों को मिलनी हैं।ऐसा नहीं होने पर कंपनी पर एक्शन की भी बात थी, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि सरकार फिलहाल 4 महीने तक किसी नियोक्तापर कोई एक्शन नहीं ले सकती।
हरियाणा सरकार का 75 प्रतिशत आरक्षण का फैसले को लेकर लगाई गई याचिका में याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कियह योग्य लोगों के साथ अन्याय है। यह कानून उन युवाओं के सांविधानिक अधिकारों का हनन है, जो अपनी शिक्षा और योग्यता के आधार पर भारत के किसी भी हिस्से में नौकरी करने को स्वतंत्र हैं।याची ने ये भी कहा कि यह कानून योग्यता के बदले रिहायश के आधार पर निजी क्षेत्र में नौकरी पाने की पद्धति को शुरू करने की कोशिश है। ऐसा हुआ तो हरियाणा में निजी क्षेत्र में रोजगार को लेकर अराजकता की स्थिति पैदा हो जाएगी।