
पूर्वी यूक्रेन के खार्किव, सुमी और पिशोचिन में फंसे भारतीय छात्रों को निकालने के लिए मोदी सरकार बसों की व्यवस्था कर रही है। विदेश मंत्रालय ने यह जानकारी देते हुए कहा कि 5 बसें वहां भेजी जा चुकी हैं। और बसें भी जाएंगी। मंत्रालय ने कहा कि पिशोचिन में 900-1000 और सूमी में करीब 700 छात्र फंसे हुए हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हमने यूक्रेन सरकार से छात्रों को निकालने के लिए ट्रेनें चलाने की अपील की थी, पर उनका कोई जवाब न मिलने पर हम बसों की व्यवस्था कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हमने रूस और यूक्रेन दोनों से स्थानीय युद्ध विराम की अपील भी की है, ताकि हम अपने लोगों को वहां से निकाल सकें। इस बीच सुमी में फंसे छात्रों ने वीडियो जारी करके भारत सरकार से मदद मांगी है। छात्रों ने वीडियो में कहा- यहां से रूस बॉर्डर 40 किमी है। चारों ओर स्नाइपर्स लगे हैं। बाहर निकलने पर गोली लगने का खतरा है। हर आधे घंटे में एयर स्ट्राइक हो रही है। माइनस में तापमान है। चार हॉस्टल में करीब 900छात्र हैं। हम लोग शुरू से मदद मांग रहे हैं। लेकिन, अभी तक मदद नहीं मिली। बच्चों ने कहा, हमें नहीं निकाला गया तो हम मर जाएंगे। यहां न खाना है न पानी है। टॉयलेट जाने के लिए भी पानी नहीं है। सुमी में ही फंसे छात्रों के दूसरे ग्रुप ने कहा है- यहां एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन और बस अड्डे सब तहस-नहस कर दिए गए हैं। यहां से यूरोप 1200 किमी दूर है, जबकि रूस पास में हैं। भारत सरकार हमें यहां से निकाले।
यूक्रेन में फंसे भारतीयों को रेस्क्यू करके 10 मार्च तक भारत सरकार घर वापसी कराएगी। इसके लिए कुल 80 उड़ानों को लगाया जाएगा। इनकी व्यवस्थाएं दुरुस्त रखने के लिए केंद्र सरकार के 24 मंत्रियों को जिम्मेदारी सौंपी जा रही है।
रोमानिया की राजधानी बुखारेस्ट से कुल 35 फ्लाइट्स आएंगी, इसमें एयर इंडिया की 14, एयर इंडिया एक्सप्रेस की आठ, इंडिगो की सात, स्पाइस जेट की एक, विस्तारा की तीन और भारतीय वायुसेना की दो उड़ानें शामिल हैं। हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट से कुल 28 उड़ानें लगाई गई हैं।उधर, यूक्रेन के खार्किव में फंसे भारतीयों के लिए रक्षा मंत्रालय ने एक एडवाइजरी जारी की है। युद्ध के चलते अब वहां खतरनाक और कठिन परिस्थितियां बनने की आशंका है।