आज सम्पन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में सभी पर्टिंयों ने पानी की तरह पैसा बहाया है। चुनावी गतिविधियों पर नजर रखने वाली संस्था एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) ने 2017 में जारी रिपोर्ट में बताया था कि देश की 7 राष्ट्रीय और 16 क्षेत्रीय पार्टियों ने यूपी, उत्तराखंड, मणिपुर, पंजाब और गोवा में कुल 494.36 करोड़ रुपये खर्च किए थे। 2022 में हुए चुनावों के लिए आयोग ने 10 फीसदी ज्यादा राशि खर्च करने की छूट दी है। इसी अनुपात में देखें तो इस बार 550 करोड़ से ज्यादा खर्च होने का अनुमान है। हालांकि, एडीआर ने अभी 2022 में हुए चुनावी खर्च पर अपनी रिपोर्ट जारी नहीं की है।
सबसे बड़े और महत्वपूर्ण राज्य यूपी में पार्टियों ने सभी अनुमानों से कहीं ज्यादा पैसा चुनाव पर बहाया है। इसकी बानगी चुनाव के दौरान सीज किए गए पैसों से मिलती है। 3 मार्च, 2022 तक यूपी में कुल 328.33 करोड़ रुपये सीज किए जा चुके थे, जो 2017 के चुनाव में महज 193.29 करोड़ थे। अगर इतनी बड़ी राशि जब्त हुई है तो आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है कि खर्च कितना हुआ होगा। एक अनुमान के अनुसार इस बार सिर्फ यूपी के विधानसभा चुनावों में 4 हजार करोड़ से भी ज्यादा की राशि खर्च होने का अनुमान है। हालांकि, सरकारी आंकड़ों में कुछ अलग ही गिनती रहती है, लेकिन हकीकत इससे काफी परे है। 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद सीएमएस पोल स्टडी में सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही 5,500 करोड़ रुपये खर्च होने का दावा किया गया था।
एक अनुमान के अनुसार पिछले लोकसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दलों ने मिलकर करीब 60 हजार करोड़ रुपये खर्च किए थे। हालांकि, एडीआर के ऑफिशियल आंकड़े इससे काफी कम रहे। बावजूद इसके विभिन्न गैर सरकारी रिपोर्ट में 60 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाने का दावा किया गया था।
