भारतीय सेना में अमेरिकन होवित्जर गन एम-777 को शामिलकिए जाने के बाद देसी गन धनुष के लिए भी रास्ता साफ हो गया है। जैसलमेर के पोकरण में धनुष तोप का सफल परीक्षण किया गया। मॉर्डन टेक्नीक से लैस धनुष का पहला ट्रायल 2017 में किया गया था। लेकिन कुछ तकनीकी खामियों के चलते इसका ट्रायल रोक दिया था। अब धनुष पूरी तरह से तैयार है।
सेना चार साल पहले ही 118 धनुष गन का ऑर्डर दे चुकी है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इसके सफल परीक्षण के बाद सेना जल्द और 450 गन का ऑर्डर दे सकती है। एक गन की कीमत 15 करोड़ है। धनुष एक स्वदेशी हथियार है। 12 साल पहले इसका डिजाइन तैयार हो गया था, लेकिन तकनीकी खामियों और अन्य कई कारण की वजह से इसमें देरी होती रही। अभी दो दिन पहले जैसलमेर में इसका सफल ट्रायल हुआ है।
देसी धनुष तोप 38 किलोमीटर तक वार कर सकती है। 155 एमएम की यह एक बार में लगातार 60 राउंड फायर कर सकती है। इसको डीआरडीओ ने निजी क्षेत्र की कंपनी टाटा पावर व भारत फोर्ज के साथ मिलकर विकसित किया है। वर्ष 2017 में ट्रायल के दौरान इसका बैरल बहुत अधिक गरम हो गया था। बैरल फटने की भी शिकायत सामने आई थी। इसके बाद सेना ने इसको नए सिरे से तैयार करने को कहा।
बैरल गर्म होने की शिकायतों को लेकर की गई जांच में सामने आया कि फायर किए जाने वाले गोलों में ही खराबी थी। इस कारण से बैरल फटने की घटना हुई। फिर भी नई तोप तैयार की गई। सेना की तरफ से बताई गई सारी खामियों को दूर कर इस गन से करीब पांच हजार गोले थार के रेगिस्तान व पहाड़ी क्षेत्र में दागे गए। एक के बाद एक कर सामने आई खामियों को लगातार सुधारा गया।
जैसलमेर की पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में यह ट्रायल दो चरणों में हुआ। इस दौरान 45 राउंड फायर किए गए। फिर एक घंटे में 25 किलोमीटर का रोड ट्रायल किया गया। इसके फौरन बाद दूसरा ट्रायल शुरू हुआ। इस राउंड में भी 45 राउंड सफलतापूर्वक फायर किए गए। यह सारा ट्रायल करीब चार घंटे तक चला। बताया जा रहा है कि गन ने हर टारगेट को सटीक फायर करके सभी पैरामीटर पर खरी उतरी है।
