
– देवेन्द्र गर्ग
बीसीसीआई ने रोहित शर्मा को एकदिवसीय और टी-20 मैचों के बाद अब टेस्ट टीम की भी कप्तानी सौंप दी है। वो अब क्रिकेट के तीनों ही प्रारूपों में भारतीय टीम के कप्तान होंगे। विराट कोहली के कप्तानी की जिम्मेदारी से मुक्त होने के बाद रोहित के कंधों पर अब भारतीय टीम की बड़ी जिम्मेदारी है। खेल विश्लेषक इसे भारतीय क्रिकेट में रोहित युग की शुरुआत मान रहे हैं। अब उनको टीम इंडिया के तीनों फॉर्मेट में अपनी नेतृत्व क्षमता को भी साबित करना होगा।
टेस्ट क्रिकेट में वर्ष 2013 में पदार्पण करने वाले 34 वर्षीय रोहित शर्मा ने अब तक टेस्ट मैचों में 46 के औसत से तीन हजार से भी ज्यादा रन बनाए हैं। वो भारतीय टीम के सबसे अनुभवी खिलाडय़िों में हैं और देश—विदेश में सभी फार्मेट में खेल चुके हैं। भारतीय टीम के दिग्गज कप्तान रहे महेन्द्र सिंह धोनी और विराट कोहली की कप्तानी में खेलकर उन्होंने निश्चित रूप से कप्तानी के अनेक दांव—पेंच सीख लिए होंगे। आईपीएल में मुंबई इंडियन की कप्तानी में उन्होंने अपनी छाप भी छोड़ी है। आईपीएल जैसे टूर्नामेंट में अपनी कप्तानी में मुंबई इंडियन को उन्होंने सबसे मजबूत और परिणाम देने वाली टीम बना दिया है। निश्चित रूप से उनका यह अनुभव अब भारतीय टीम की कप्तानी करते समय बहुत काम आएगा। दबाव से किस तरह निपटा जाता है, इसका अनुभव उनको आईपीएल में खूब मिल चुका है।
खूब हैं चुनौतियां
मगर, रोहित के लिए चुनौतियां भी खूब हैं। वह फिटनेस की समस्या से जूझते रहे हैं। ऐसे में उन पर सबकी निगाहें रहेंगी कि उम्र के 34 साल पूरे कर चुकने के बाद वह लगातार क्रिकेट खेलने के साथ बड़ी जिम्मेदारियां निभाने में किस हद तक सफल हो पाते हैं। रोहित शर्मा विराट कोहली (33) से भी एक साल बड़े हैं। इस उम्र में क्रिकेट के इतने व्यस्त दौरों में 24-25 साल के युवा खिलाडय़िों की फिटनेस भी जवाब देने लगती है। बीसीसीआई ने उन्हें 2023 वर्ल्ड कप की सोचकर ही टी-20 मैचों में कप्तानी की जिम्मेदारी सौंपी है। रोहित भी इस बात को बखूबी समझते हैं कि उम्र को देखते हुए टी-20 मैचों का यह सबसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट उनका आखिरी बड़ा टूर्नामेंट हो सकता है। उनको यह बात भी साफ तौर पर पता है कि बीसीसीआई भविष्य के कप्तान के लिए ऋषभ पंत में संभावनाएं देख रहा है। वह जल्द ही पंत को टी-20 की कप्तानी सौंपने की कोशिश करेगा, जिससे पंत एक-दो साल में पूर्णकालिक कप्तान के रूप में स्थापित हो जाएं। रोहित चाहेंगे कि वे 2023 का टी-20 विश्वकप जीतकर पंत को यह जिम्मेदारी सौंपे और फिर अगले दो—तीन सालों तक एकदिवसीय व टैस्ट मैचों में कप्तानी करते रहें।फिर ससम्मान रिटायर हों।
बेहतर तालमेल जरूरी
फिलहाल रोहित के मामले में सुखद बात यह है कि उनका कोच और टीम मैनेजमेंट के साथ अच्छा तालमेल है। पिछले दो-तीन सालों में विराट की कप्तानी में भारतीय टीम में यह कमी देखी जा रही थी। कप्तान, कोच तथा टीम मैनेजमेंट में सही तालमेल हो तो निश्चत रूप से किसी भी टीम का प्रदर्शन बेहतर हो जाता है। आने वाले एक साल में भारतीय टीम को कुछ बड़े टूर्नामेंट खेलने हैं। रोहित का टीम मैनेजमेंट और कोच के साथ अच्छे संतुलन का फायदा टीम इंडिया को मिल सकता है।
भारतीय क्रिकेट को नई बुलंदियों पर ले जाने की जिम्मेदारी अब रोहित शर्मा के साथ-साथ टीम इंडिया के कोच राहुल द्रविड़ के कंधों पर भी आ गई है। इसी वर्ष अक्तूबर-नवम्बर में आस्ट्रेलिया में टी-20 विश्व कप खेला जाएगा, जिसमें अपनी बल्लेबाजी में बेहतर प्रदर्शन के साथ-साथ टीम इंडिया को कामयाबी दिलाने का दबाव रोहित पर होगा। टीम इंडिया की कप्तानी करते हुए उनकी यह पहली बड़ी परीक्षा होगी। इसके बाद 2023 में भारत में ही आयोजित होने वाले एक दिवसीय विश्वकप में मेजबान टीम के कप्तान के तौर पर टीम इंडिया को सफलता दिलाने का उनपर बड़ा दबाव होगा। भारत में क्रिकेट का क्या रुतबा है और खेल प्रेमियों की क्या अपेक्षा रहती है, रोहित इस बात को भली-भांति समझते हैं। वर्ष 2023 में ही आईसीसी विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप का फाइनल भी खेला जाएगा।
बहरहाल, रोहित को क्रिकेट के तीनों प्रारूपों का कप्तान बनने के बाद एक भरोसेमंद बल्लेबाज ही नहीं, कप्तान के रूप में भी अपनी काबिलियत को साबित करते हुए भारतीय टीम को विजय के पथ पर अग्रसर करना होगा। विराट-शास्त्री के लंबे कार्यकाल के बाद अब कप्तान और कोच के रुप में रोहित शर्मा और राहुल द्रविड़ की जोड़ी पर सभी की नजरें केन्द्रित हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि रोहित की अगुवाई में और कोच द्रविड़ के मार्गदर्शन में टीम इंडिया नई उपलब्धियां हासिल करेगी।