एक नई स्टडी में पाया गया है कि नॉनवेज खाने वालों की तुलना में शाकाहारियों में कैंसर का खतरा बहुत कम होता है। ये स्टडी वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड, कैंसर रिसर्च यूके और ऑक्सफोर्ड पॉपुलेशन हेल्थ द्वारा की गई है। 450,000 लोगों पर की गई यह स्टडी बीएमसी मेडिसिन में छपी है।
सभी लोगों को मीट और मछली के सेवन की मात्रा के आधार पर बांटा गया था। स्टडी में नियमित रूप से मीट खाने वालों को एक खास वर्ग में बांटा गया था। जैसे, कितने लोग सप्ताह में पांच बार से अधिक प्रोसेस्ड मीट, रेड मीट या फिर चिकन खाते थे और कितने लोग इससे कम खाते थे। स्टडी में उन लोगों का भी विश्लेषण किया गया जो लोग मीट नहीं लेकिन मछली खाते थे। एक दूसरे समूह में वो लोग थे जो पूरी तरह शाकाहारी थे।
स्टडी के नतीजे में कई अहम बातें सामने आईं। नियमित रूप से मीट खाने वालों की तुलना में, कम मीट खाने वालों में किसी भी प्रकार के कैंसर का खतरा 2 फीसदी तक कम था। सिर्फ मछली खाने वालों में ये खतरा 10 प्रतिशत कम और शाकाहारियों में ये 14 फीसदी तक कम था। नियमित नॉनवेज खाने वालों की तुलना में कम नॉनवेज खाने वालों में आंत का कैंसर होने का खतरा 9 प्रतिशत कम था। नियमित रूप से मांस खाने वालों की तुलना में शाकाहारी महिलाओं में पोस्टमेनोपॉजल ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा 18 फीसदी तक कम था। शाकाहारियों और सिर्फ मछली खाने वालों में प्रोस्टेट कैंसर का खतरा 20 से 31 फीसदी तक कम पाया गया।
विशेषज्ञों का कहना है कि शाकाहारी खाने से न केवल कोलोरेक्टल या अन्य गैस्ट्रो आंत बल्कि हर तरह के कैंसर का खतरा कम होता है। शाकाहार हर तरह के कैंसर को 10 से 12 फीसदी तक कम कर देता है। शाकाहारी लोगों में मांसाहारी लोगों की तुलना में कोलोरेक्टल कैंसर विकसित होने का खतरा 22 प्रतिशत कम होता है।
