गुर्जर आंदोलन के नेता कर्नल बैसला नहीं रहे

गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला (83) का गुरुवार सुबह 6 बजे जयपुर के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार थे। तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें गुरुवार तड़के सीकर रोड के ए​क निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां उपचार के दौरान उनका निधन हो गया।

कर्नल बैंसला के निधन की खबर सुनते ही उनके समर्थक अस्पताल पहुंचना शुरू हो गए। अंतिम संस्कार शुक्रवार को उनके पैतृक गांव हिंडौन के पास मुड़िया में किया जाएगा। अंतिम समय में उनके बेटे विजय बैंसला साथ थे। अभी उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए वैशाली नगर स्थित घर में रखा गया है। बैंसला के तीन बेटे और एक बेटी है। सबसे बड़े बेटे दौलत सिंह बैंसला कर्नल पद से रिटायर हैं। उनके एक बेटे जय सिंह बैंसला मेजर जनरल हैं। बेटी सुनीता बैंसला आईआरएस अफसर हैं। विजय बैसला आईटी सेक्टर में काम करते थे, अब समाज सेवा और राजनीति में सक्रिय हैं।

कर्नल बैसला लंबे समय से कई बीमारियों से जूझ रहे थे। उन्हें पिछले साल कोरोना भी हो गया था। कोविड से रिकवर होने के बाद कई पोस्ट कोविड दिक्कतें आ रही थीं। बैंसला को पहले भी हार्ट की बीमारी थी, उन्हें चलने में भी परेशानी होती थी।

बैंसला ने 2004 से गुर्जर समुदाय को अलग से आरक्षण देने की मांग करते हुए आरक्षण आंदोलन की कमान हाथ में ली। पटरी पर बैठकर आंदोलन करने से वह आरक्षण आंदोलन का चेहरा बन गए थे। उनके आंदोलन के बाद तत्कालीन वसुंधरा राजे की सरकार ने चौपड़ा कमेटी बनाई, जिसने गुर्जरों की हालत पर रिपोर्ट तैयार की। लंबे चले आरक्षण आंदोलन के बाद गुर्जर सहित पांच जातियों को ओबीसी के साथ पहले स्पेशल बैकवर्ड क्लास और फिर मोस्ट बैक वर्ड क्लास(एमबीसी) में अलग से आरक्षण मिला।

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