दिखने लगा विकल्प

— अनिल चतुर्वेदी

हाल के विधानसभा चुनावों में अहम बात ये देखी गई है कि आमजन की राजनीतिक चेतना परिपक्व हो चली है। जिस प्रकार पंजाब में लोगों ने सालों से खूंटा गाड़े बैठे राजनीति के अखाडिय़ों को उखाड़ फेंका है, ये मामूली घटना नहीं है। पहले दिल्ली और अब पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) की प्रचंड चुनावी जीत का संदेश पूरे देश में गया है। संदेश बिलकुल साफ है, कि आम आदमी स्थापित राजनेताओं का सक्षम विकल्प बनने को तैयार है। सत्ता मोह में फंसे नेताओं की तिकड़में और कोठ्यार भरने का खेल बेखौफ जारी रहा तो जनता उनका बिस्तर गोल करने में देर नहीं करेगी।
आप का विस्तार देश की राजनीति की बड़ी घटना है। अब अगर यह पार्टी एक-दो राज्यों की सत्ता और हासिल कर लेती तो है इसे राष्ट्रीय दल का दर्जा मिलना तय है। फिर इन राज्यों में दिल्ली जैसा सुशासन दिखाई दिया तो समूचे भारत में च्आपज् की हवा चलने से कोई नही रोक पाएगा। देशवासी अभी भले ही भाजपा, कांग्रेस या अन्य दलों को बारी-बारी से राजगद्दी पर बिठा रहे हैं, किंतु इन दलों के राज में भ्रष्टाचार, अपराध और धनबल के नंगनाच से हर कोई त्रस्त है। मंहगाई और आपसी वैमनस्यता के बीच राम-राज्य अब कोई सपने में भी नहीं देख पा रहा है। फिर भी जनता घूम-फिरकर इन्ही दलों को सत्ता की चाबी सौपने को मजबूर है।
लोगों की बेबसी का ज्वालामुखी सुलग तो कई सालों से रहा है, अब उसके फटने की बारी है। ज्वालामुखी फटते ही कमल, हाथ, साइकिल, हाथी, दो पत्ती-सभी इसके मलबे में बह जाने हैं।
वैसे इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के नतीजे भी यही इशारा करते हैं कि प्रदेशवासियों में अपना इकबाल कायम करने वाले भाजपा राज की ही अंतत: वापसी हुई है। नाना प्रकार के मिथक तोड़ते हुए योगी आदित्यनाथ ने पुन: शासन की बागडोर संभाली है। जिस राज्य के लोगों ने लाठी, दबंगई और जातीय विभेद में विश्वास करने वाले नेताओं के राज की अराजकता देखी है, वहां कुख्यात माफियाओं की दुर्गति के साथ-साथ विकास का पहिया घुमाने वाली योगी सरकार से बंधी जन-उम्मीद ने ही उन्हें दुबारा कुर्सी सौंपी है।
मतलब यही कि आज जनता मुसीबतों के अंधड़ में सुकून की तलाश कर रही है। जिस नेता के राज में थोड़ा सा भी सुकून महसूस हो रहा है, उसे ही एक और मौका दिया जा रहा है। मगर उत्तराखंड और गोवा में भाजपा की सत्ता में वापसी, विशुद्ध रूप से सियासी रणनीति और केन्द्र की नरेन्द्र मोदी के च्कथितज् लोकप्रिय शासन के कारण हुई है। कथित इसलिए, क्योंकि देश में इस समय च्माइंड हैकिंगज् का खेल भी जोर पकड़े हुए है। जिस प्रकार लोगों के दिलो-दिमाग को एक व्यक्ति और पार्टी विशेष के पक्ष में कुंद किया जा रहा है, इसका लाभ पार्टी को व्यापक जन-समर्थन के रूप में मिल रहा है। भाजपा ने उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर ही नहीं, कुछ हद तक उत्तर प्रदेश में भी माइंड हैकिंग को अपनी जीत में बदला है। प्रस्तुत अंक में पांच राज्यों के हालिया विधानसभा चुनाव के नतीजों पर ही प्रमुख रूप से चर्चा की गई है।

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.