श्रीलंका की तरह भारत के भी कुछ राज्यों की आर्थिक हालत खराब हो सकती है। आज शीर्ष सचिवों ने पीएम मोदी के साथ बैठक में यह आशंका जताई है। उन्होंने इसके कारण भी बताए।
बैठक से जुड़े सूत्रों के अनुसार वरिष्ठ अधिकारियों ने राज्यों की अव्यावहारिक और लोकलुभावन योजनाओं पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अगर ऐसा ही जारी रहा तो जल्द ही देश के कई राज्य श्रीलंका की तरह बदहाली का सामना कर सकते हैं। प्रधानमंत्री आवास पर हुई बैठक में एनएसए अजीत डोभाल, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा और कैबिनेट सचिव राजीव गौबा के अलावा केंद्र सरकार के कई वरिष्ठ आईएएस अधिकारी भी शामिल हुए। बैठक करीब 4 घंटे तक चली। इनमें वो सचिव भी शामिल थे, जो राज्य स्तर पर काम कर चुके हैं।
सूत्रों के अनुसार बैठक में कुछ सचिवों ने कहा कि कुछ राज्य सरकारों की फ्री में बांटने की योजनाएं उस प्रदेश के लिए आर्थिक मुसीबतें खड़ी कर सकती हैं। लोकलुभावन वादों और योजनाओं से राज्य के कोश पर प्रभाव पड़ता है। पहले ही कई राज्य कर्ज में डूबे हैं। जल्द ही कोई कदम नहीं उठाया गया तो इन राज्यों की हालत श्रीलंका और लेबनान जैसी हो सकती है।
सचिवों ने कहा कि चूंकि वो भारतीय संघ का हिस्सा हैं इसलिए वे राज्य संभले हुए हैं, अन्यथा अब तक कंगाल हो चुके होते। पंजाब, दिल्ली, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की सरकारों ने जनता को लुभाने के लिए जो भी वादे किये हैं वो लंबे समय तक राज्य की अर्थव्यवस्था को टिकने नहीं देंगे। ऐसे में समाधान निकालने की आवश्यकता है।
बताते चलें कि कई राज्यों की सरकारें जनता को लुभाने के लिए मुफ़्त की बिजली दे रही है, जिसका सीधा असर सरकारी खजाने पर पड़ रहा है। इससे अन्य सेक्टर में आवश्यक फंड की कमी पड़ रही है। ऐसे में यदि इन राज्यों ने अभी भी कोई कदम नहीं उठाया तो आने वाले समय में इन राज्यों की आर्थिक हालात बदहाल हो सकती है।
