
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्सके वैज्ञानिकों ने एक जेनेटिक तंत्र की पहचान की है, जो सामान्य कोशिकाओं को कैंसरयुक्त मुंह के ट्यूमर में बदल देता है। यह खोज कैंसर के उपचार की दिशा में एक नया कदम हो सकती है। कैंसर बायोलॉजिस्ट निधान बिस्वास और उनके साथियों ने जीन में होने वाले इस म्यूटेशन की पहचान की है। यह जीन केसपेज-8 नाम का प्रोटीन बनाता है, जो मुंह के ऊतकों को एक असामान्य स्थिति में ले जाता है, जिसे ल्यूकोप्लेकिया कहा जाता है।यही आगे चलकर कैंसर में बदल जाता है।
केसपेज-8 जीन में बदलाव सतही ल्यूकोप्लेकिया, यानी मुंह के अंदर की ऊपरी सतह पर घाव, पैदा करता है जो आगे चलकर कैंसर में बदल जाता है। यह प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से होती है।पहले केसपेज में बदलाव होता है, फिर कोशिकाएं दूसरे कैंसर से जुड़े जीन में मौजूद म्यूटेशन को एकत्र करते हैं। यहीप्रक्रिया कैंसर में बदल जाती है।
भारत में होने वाले कैंसरों की श्रेणी में मुंह का कैंसर सबसे आम हैं, जिसकी वजह तंबाकू चबाना होता है। तंबाकू में मौजूद कैंसर पैदा करने वाले तत्व मुंह के अंदर की केविटी को नुकसान पहुंचा देते हैं, जिसकी वजह से जेनेटिक बदलाव होते हैं। डॉक्टर कई सालों से जानते हैं कि मुंह के अंदर होने वाले ज्यादातर कैंसर के घाव, अंदर मौजूद सफेद धब्बे जो ल्यूकोप्लेकाय कहलाते है, यह मुंह के कैंसर का कारक बनता है। पहले हुए अध्य्यन भी यह बताते हैं कि ऐसे लोग जिनमें ल्यूकोप्लाकिया पाया गया है, उनमें से 9 फीसद में आगे जाकर कैंसर होने की आशंका होती है। यह जेनेटिक बदलाव की वजह से होता है। इसलिए डॉक्टर ऐसे मरीज, जिनमें ल्यूकोप्लाकिया है, उन्हें 6 से 12 हफ्तों में एक बार कैंसर की जांच के लिए बुलातेहैं।
शोधार्थियों ने इसके लिए तीन प्रकार के टिश्यू या उत्तकों (जिन्हें ऐसे मरीज से लिया गया जो सामान्य, कैंसर पीड़ित और ल्यूकोप्लाकिया पीड़ित हैं) से जेनेटिक मटेरियल या डीएनए का अध्ययन किया। अनुवांशिक बदलाव और मोलेक्यूलर मेकेनिज्म यानी आण्विक तंत्रका इस तरह से पहली बार चरणबद्ध अध्ययन किया गया है, जो कोशिकाओं में होने वाली घातकता को दर्शाता है।