
एक सर्वेक्षण में सामने आया है कि देश के 10 में से 9 लोगों का मानना है कि जब मास्क लगाना अनिवार्य था, तब भी उनके इलाके, शहर या जिले के ज्यादातर लोग मास्क नहीं लगाते नहीं थे या गलत तरीके से लगाते थे। हालांकि अब कोरोना घटने से मास्क पहनना अनिवार्य नहीं रहा, लेकिन इसे लगाने की सलाह अभी भी जारी है।
सर्वे के दौरान जब लोगों से मास्क पहनने को लेकर सवाल किया गया तो 57 फीसद लोगों का कहना था कि लोग मास्क पहनते तो थे, लेकिन वह महज खानापूर्ति होती थी। कोई भी ठीक तरीके से मास्क नहीं पहनता था।22 फीसद लोगों का मानना था कि लोगों के पास मास्क तो होता था, लेकिन वह पहनते नहीं थे। वहीं,11 फीसद लोगों का कहना था कि लोगों के पास मास्क ही नहीं होता था। इस बीच केवल 7 फीसद लोगों ने माना कि उनके इलाके के लोगों ने मास्क पहनने की अनिवार्यता का ठीक से पालन किया।
भारत के 349 जिलों के 30,000 लोगों परयह सर्वेक्षण किया गया। जब इनसे मास्क के नियमों का पालन करने से जुड़ा सवाल किया गया तो 7 फीसद लोगों का जवाब था कि किसी ने भी नियमों का पालन नहीं किया।36 फीसद का मानना था कि 30 प्रतिशत लोगों ने नियमों का पालन किया। वहीं 35 फीसद लोगों का कहना था कि 30 से 60 प्रतिशत के बीच में लोगों ने मास्क से जुड़े नियमों को माना। करीब 10 फीसद लोगों ने कहा कि 60 से 90 फीसद लोगों ने नियमों का पालन किया और 6 फीसद लोग ये मानते हैं कि 90 फीसद से ज्यादा लोगों ने मास्क संबंधी नियम माने।
लोगों से उनके इलाके, शहर या जिले में पहनी गई मास्क की किस्म के बारे में पूछने पर सामने आया कि 3 में से 2 लोग यानी करीब 62 फीसद लोग कपड़े से बना मास्क पहनते हैं। सर्जिकल मास्क पहने वालों की संख्या 20 फीसद और एन-95, केएन-95, या डब्ल्यू 95 मास्क पहनने वाले की संख्या 6 फीसद है। देशभर में अब कोविड के रोजाना आने वाले मामले घटकर 1000 से कम हो गए हैं। इसके चलते महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा और तेलंगाना ने इस महीने से मास्क पहनने की अनिवार्यता को वापस ले लिया है।
सर्वेक्षण बताता है कि देश में लोगों ने मास्क की अनिवार्यता को गंभीरता से नहीं लिया। यूरोपीय देशों में फरवरी में मास्क की अनिवार्यता खत्म होते ही संक्रमण के मामले बढ़ने शुरू हो गए हैं। ऐसे में नियमों और सावधानियों का गंभीरता से पालन अभी भी बेहद जरूरी है।