धारीवाल ने फिर जताई प्रभावी वर्ग की सोच

राजस्थान के यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल पिछले कुछ समय से अपने वणिक समाज की मानसिकता को खुलकर व्यक्त कर रहे हैं। गृह नगर कोटा में हुए हिट एंड रन मामले में उन्होंने धनाड्य और सुविधा सम्पन्न वर्ग के दृष्टिकोण को बिना किसी संकोच के प्रस्तुत किया। मजबूरी में फुटपाथ पर सोने वाले मजदूरों और अन्य जातियों के लोगों के लिए उन्होंने कहा, इनके लिए रैन बसेरे खोले हुए हैं, फिर भी वह फुटपाथ पर जाकर ही सोते हैं। यह उनकी गलती है।

कोटा में 2 दिन पहले नयापुरा इलाके में फुटपाथ पर सो रहे एक परिवार पर शिमला बेकरी के संचालक ने कार चढ़ा दी थी। हादसे में एक व्यक्ति की दर्दनाक मौत हो गई। वहीं महिला बीनू गंभीर रूप से निजी अस्पताल में भर्ती है। वह कोमा में है।

रविवार सुबह यूडीएच मिनिस्टर शांति धारीवाल उसके परिवार से मिलने निजी अस्पताल पहुंचे। यहां उन्होंने परिवार को एक लाख की आर्थिक सहायता का चेक सौंपा। धारीवाल ने कहा, घायल परिवार को एक लाख का चेक दिया है। घायल महिला और उसके 6 बच्चों को पालनहार योजना और विधवा पेंशन योजना से जोड़कर आर्थिक मदद दिलाई जाएगी। उन्होंने कहा कि कोटा में कई रैन बसेरे और सामुदायिक भवन खोल दिए गए हैं। ताकि फुटपाथ पर रहने वाले लोग वहां रह सकें। साथ ही इंदिरा रसोई में खाना भी निशुल्क मिल जाएगा।

उन्होंने कहा कि सरकार की नीति है कि जितने भी घुमंतू लोग हैं, उनके आवास के लिए जमीन उपलब्ध कराई जाए। उसके लिए सर्वे करवाया जाएगा। जमीन तलाश कर आवास बनाने के लिए जमीन अलॉट की जाएगी। घुमंतू और मोंगिया जाति को आवास के लिए फ्री अलॉटमेंट होगा। इसके बाद उन्होंने कहा, मजदूर और जातियों के लोग फुटपाथ पर रहते हैं तो यह उनकी गलती है। रैन बसेरे और सामुदायिक भवन खुले हुए हैं। वहां आ कर रहें। वे वहां नहीं आते और फुटपाथ पर ही रहते हैं। अब सोते हुए आदमी को पुलिस उठाकर ले जा तो नहीं सकती।

धारीवाल का कहना है कि सामुदायिक भवन और रैन बसेरे इन जाति और मजदूरों के लिए खोले हुए हैं, जबकि हकीकत यह है कि स्थायी रैन बसेरों में इन्हें एंट्री ही नहीं दी जाती। कई तो बंद ही पड़े हैं। सामुदायिक भवन में पहले ही रुकने की कोई व्यवस्था नहीं है। हालांकि खुद यूडीएच मंत्री अपने बयान में कह रहे हैं कि अब निर्देश दिए हैं कि सामुदायिक भवन और रैन बसेरों में इन्हें रहने दिया जाए।

मंत्री धारीवाल इससे पहले अपने समाज की श्रेष्ठता खुलकर व्यक्त कर चुके हैं। कुछ माह पूर्व कोचिंग सेंटर के कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि आज ज्यादातर इंजीनियर, डाक्टर और सीए जैसे पेशों में वैश्य बच्चे बाजी मार रहे हैं। ब्राह्मण बच्चे उनके मुकाबले काफी पीछे हैं। इस बयान पर विवाद बढा तो उन्हें सफाई देनी पड़ गई थी।

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