कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के तहत वेतन सीमा को मौजूदा 15,000 रुपये से बढ़ाकर 21,000 रुपये प्रति माह किया जा सकता है। एक उच्च-स्तरीय समिति ने वेतन सीमा में वृद्धि का सुझाव देने वाले प्रस्ताव का समर्थन किया है।
इस प्रस्ताव के लागू होने से 75 लाख कर्मचारी ईपीएफओ के दायरे में आ जाएंगे। इसके बाद उनको भी ईपीएफओ की विभिन्न योजनाओं का लाभ मिलेगा। ईपीएफओ ने करीब चार साल पहले इस बारे में वित्त मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा था।
इस समिति ने कहा सरकार इसके फायदे नुकसान देखते हुए इसे बाद में भी लागू कर सकती है। वर्तमान में ईपीएफओ का अनिवार्य मेंबर बनने के लिए वेतन सीमा 15,000 रुपये है। अगर यह सीम बढ़ती है लाखों कर्मचारी इसके दायरे में आएंगे। साल 2014 में पीएफ के लिए वेतन सीमा को बढ़ाया गया था। तब इसे 6,500 से बढ़ाकर 15,000 रुपये किया गया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि ईपीएफओ कवरेज पर एडहॉक कमेटी ने ईपीएफ एक्ट के तरह वेतन सीमा बढ़ाने पर सहमति जताई है। समिति का कहना है कि अगर ईपीएफओ का सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज इसे लागू करता है तो महंगाई के इस दौर में कर्मचारियों को काफी फायदा होगा।
कमेटी के अनुसार नियोक्ताओं से भी इस प्रस्ताव पर बातचीत की गई थी। कंपनियों का कहना है कि कोरोना महामारी के कारण उनकी बैलेंस शीट पर दबाव है। लिहाजा ऐसे प्रस्ताव को लागू करने के लिए समय की जरूरत है। इससे नियोक्ताओं के साथ-साथ सरकार पर भी बोझ बढ़ेगा। अभी सरकार ईपीएफओ की पेंशन स्कीम यानी ईपीएफ में हर साल 6,750 करोड़ रुपये देती है। इस स्कीम के तहत सरकार ईपीएफओ के सदस्यों की कुल सैलरी का 1.16 फीसदी का योगदान करती है।
वर्तमान नियमों के अनुसार 20 या अधिक कर्मचारियों वाली कंपनी के लिए ईपीएफओ में रजिस्टर होना अनिवार्य है। साथ ही 15000 रुपये से कम वेतन वाले कर्मचारियों की लिए ईपीएफ स्कीम अनिवार्य है। वेतन की सीमा बढ़ाकर 21,000 रुपये किए जाने से ज्यादा से ज्यादा कर्मचारी रिटायरमेंट योजना के दायरे में आएंगे। इससे वेतन की सीमा कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के बराबर हो जाएगी।
