राजस्थान में आगामी मई-जून के महीने महत्वपूर्ण फैसले वाले हो सकते हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत या तो हटाए जाएंगे, या फिर अगले विधानसभा चुनाव तक उनका इसी पद पर बने रहना तय हो जाएगा। यदि गहलोत हटते हैं तो उनकी जगह सचिन पायलट मुख्यमंत्री बनेंगे या कोई और, यह देखने वाली बात होगी।
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार आगामी विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी के एजेंडे में राजस्थान पहले नंबर पर है। राज्य में पार्टी के अंदर की गुटबाजी खत्म करने के लिए उदयपुर में ‘चिंतन शिवर सत्र’ की योजना है। मगर बड़ा सवाल यह है कि क्या गहलोत को एआईसीसी सचिवालय में वरिष्ठ पद संभालने के लिए कहा जाएगा? और क्या 70 वर्षीय गहलोत इसे स्वेच्छा से स्वीकार करेंगे?
दिल्ली में सोनिया गांधी और सचिन पायलट के मुलाकात के बाद राजस्थान में हलचल देखी जाने लगी। इसका अंदाजा इस बात का लगाया जा सकता है कि सीएम गहलोत ने शनिवार को एक समारोह में कुछ ऐसा बयान दे दिया, जो उनके स्वभाव के विपरीत है। उन्होंने कहा कि उनका इस्तीफा स्थायी रूप से कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास है। जब कांग्रेस मुख्यमंत्री को बदलने का फैसला करेगी, तो किसी को भनक तक नहीं लगेगी। इस पर (सीएम बदलने पर) कोई विचार-विमर्श नहीं किया जाएगा। कांग्रेस आलाकमान निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है।
यहां गौरतलब यह है कि सोनिया और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के सामने अपने प्रजेंटेशन में प्रशांत किशोर ने 2024 लोकसभा चुनाव के लिए विशेष रूप से राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में जीत पर जोर दिया है, जहां कांग्रेस सीधे तौर पर सरकार या विपक्ष में है। बड़ा सवाल यह है कि राजस्थान में कांग्रेस, गहलोत या सचिन पायलट किसके नेतृत्व में अधिक संसदीय सीटें जीत पाएगी? पार्टी सूत्रों का कहना है कि राजस्थान के प्रभारी एआईसीसी महासचिव अजय माकन ने एक विस्तृत रिपोर्ट सौंप दी है। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत दिलाने के लिए पायलट ने सोनिया को किसी के भी साथ काम करने का आश्वासन दिया है। राजस्थान में जून 2022 में राज्यसभा की चार सीटों पर चुनाव होने वाले हैं। कांग्रेस के पास तीन सीटें जीतने का अच्छा मौका है। 24 अकबर रोड में चर्चा है कि राज्यसभा का नामांकन राजस्थान में चल रहे सियासी गतिरोध को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के दिमाग में पंजाब में मुख्यमंत्री बदलने की घटना चल रही है, जहां विधानसभा चुनाव से केवल 114 दिन पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाकर चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनाया गया था। एआईसीसी प्रमुख को इनपुट मिल रहे हैं कि अगर राजस्थान में वास्तव में मुख्यमंत्री बदलने की आवश्यकता है तो यह विधानसभा चुनावों से कम से कम डेढ़ साल पहले होना चाहिए। इसी संदर्भ में मध्य मई से जून 2022 के बीच का समय महत्वपूर्ण हो जाता है।
मध्य प्रदेश में भी राज्य पार्टी इकाई के अध्यक्ष कमलनाथ ने कथित तौर पर विधानसभा में विपक्ष के नेता का पद छोड़ने की पेशकश की है। कहा जाता है कि अनुभवी और साधन संपन्न कमलनाथ 2023 के विधानसभा चुनावों में एक बार फिर पार्टी का नेतृत्व करने के इच्छुक हैं और अपनी टीम में युवा नेताओं को आगे लाने के लिए तैयार हैं। राजस्थान की तरह ही जून 2022 में मध्य प्रदेश में भी राज्यसभा चुनाव हैं। यहां भी कांग्रेस की आंतरिक कलह को दूर किया जा सकता है। दो साल पहले जब कमलनाथ मुख्यमंत्री थे, तब राज्यसभा चुनाव से पहले ही ज्योतिरादित्य सिंधिया बगावत कर भाजपा में शामिल हो गए थे।
