शारदा यूनिवर्सिटी के बीए पॉलिटिकल साइंस प्रश्नपत्र में हिंदुत्व को लेकर पूछे गए सवाल पर विवाद खड़ा हो गया है। सोशल मीडिया में शारदा यूनिवर्सिटी पर हिंदू विरोधी होने का आरोप लगा रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता विकास प्रीतम सिन्हा भी इस बहस में शामिल हो चुके हैं। उन्होंने बीए पॉलिटिकल साइंस के प्रश्नपत्र में पूछे गए एक सवाल पर नाराजगी जाहिर की है।
बीजेपी नेता ने अपने ट्विट में लिखा, यूनिवर्सिटी का नाम ‘शारदा’ पर कृत्य देखिए कि परीक्षा में छात्रों को ‘हिन्दुत्व’ को अनिवार्य रूप से फासी और नाजीवाद के समकक्ष सिद्ध करने के लिए कहा जा रहा है। यह प्रश्नपत्र कथित रूप से किसी मुस्लिम शिक्षक द्वारा बनाया गया है।
शारदा यूनिवर्सिटी में सेशन 2021-22 की मिड टर्म परीक्षा चल रही है। शुक्रवार (06 मई 2022) को फर्स्ट ईयर स्टूडेंट्स का बीए पॉलिटिकल साइंस ऑनर्स (सेमेस्टर-2) की परीक्षा हुई। इस विषय के प्रश्नपत्र के तीन सेक्शन ए, बी और सी में कुल 8 सवाल पूछे गए, लेकिन छठे सवाल की वजह से पेपर सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। छठे सवाल में छात्रों से हिंदुत्व की तुलना फासीवाद या नाजीवाद से करते हुए अपने विचार रखने के लिए कहा गया।
मामले को तूल पकड़ता देख शारदा यूनिवर्सिटी ने तुरंत 3 सदस्यीय जांच कमेटी बनाई और पेपर बनाने वाली कमेटी को सस्पेंड कर दिया है। विश्वविद्यालय की ओर से आए बयान में कहा गया है कि विश्वविद्यालय को खेद है कि ऐसी घटना हुई है, जिसमें सामाजिक कलह को भड़काने की क्षमता हो सकती है। विश्वविद्यालय हर उस विचारधारा के खिलाफ है, जो हमारी राष्ट्रीय पहचान और संस्कृति को बिगाड़े। एक उच्च शिक्षा संस्थान के रूप में हम सभ्यता के पुनरुद्धार के बड़े मिशन के लिए प्रतिबद्ध हैं जो हमारे धर्म, परंपरा, इतिहास और संस्कृति का सबसे अच्छा उत्सव मनाता है, जिसने न केवल भारत के विचार को बल्कि दुनियाभर में मानव ज्ञान के सभी पहलुओं को आकार दिया है।
