शाहीन बाग में अतिक्रमण के खिलाफ हुई कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। अब कोर्ट ने सवाल किया है कि जब अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई का मामला पहले से कोर्ट में है तो फिर बुलडोजर क्यों पहुंचा? शाहीन बाग में अवैध निर्माण कर बसाई गई बस्तियों को हटाने और ध्वस्त करने के आदेश के खिलाफ दो दिन पहले भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी (सीपीएम) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
कोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट का कहना था कि कोई भी प्रभावित पक्ष अदालत के समक्ष नहीं है और याचिका एक राजनीतिक दल द्वारा दायर की गई है। इस अदालत को इन सब के लिए एक मंच मत बनाओ। कोर्ट ने बुलडोजर से प्रभावित होने वाले लोगों को हाईकोर्ट जाने को कहा है।
दिल्ली में करीब दो साल पहले नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन से देशभर में सुर्खियों में आया शाहीन बाग में आज फिर हंगामा देखने को मिला। वहां एमसीडी के बुलडोजर अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाने आए थे। बुलडोजर जैसे ही शाहीन बाग पहुंचे, हंगामा शुरू हो गया। लोगों के विरोध और गहमागहमी के बीच दोपहर करीब 12.30 बजे बुलडोजर वापस लौट गए। जिसके बाद लोगों ने तिरंगा लहराया।
इसके पहले कार्रवाई के विरोध में लोग बुलडोजरों के सामने लेट गए। कुछ महिलाएं बुलडोजर पर चढ़ गईं। कुछ जगहों पर लोग सड़कों पर ही धरने पर बैठ गए। हंगामा बढ़ते देख पुलिस ने लोगों को वहां से हटाया। कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया गया। इसके बावजूद कार्रवाई का विरोध जारी रहा। अफसरों ने कहा कि फिलहाल अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई रोक दी गई है।
