
राजस्थान में एकबार फिर दंडात्मक कार्रवाई से पहले इसका ढिंढोरा पीटने का खेल हुआ है। सरकारअवैध खनन, परिवहन और भण्डारण के खिलाफ सघन जांच अभियान छेड़ने जा रही है। उससे पहले ही बाकायदा विज्ञप्ति जारी कर तिथियों का ऐलान कर दिया गया। ताकि अपराधी चौंकन्ने हो जाएं औऱ अभियान के दौरान अपनी करतूत टाल दें।
विज्ञप्ति में अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस, पेट्रोलियम और पीएचईडी डॉ. सुबोध अग्रवाल के हवाले से बताया गया है कि पूरे प्रदेश में 15 मई से 14 जून तक महीनेभर का विशेष सघन जांच अभियान चलेगा। अभियान का संचालन जिला कलक्टर की अध्यक्षता में गठित पांच विभागों के संयुक्त जांच दल द्वारा किया जाएगा।
एसीएस डॉ. अग्रवाल के अनुसार जिला कलक्टर द्वारा माइंस, वन, राजस्व, परिवहन और पुलिस विभाग के संयुक्त जांच दलों का गठन किया जाएगा। संयुक्त दल में राजस्व विभाग से उपखण्ड स्तर के अधिकारी, पुलिस विभाग से उपाधीक्षक स्तर के अधिकारी, परिवहन विभाग से उपनिरीक्षक-निरीक्षक स्तर के अधिकारी और वन विभाग से रेंजर स्तर के अधिकारी होंगे। माइंस विभाग से खनि अभियंता/खनि अभियंता सतर्कता, सहायक खनि अभियंता/सहायक खनि अभियंता सतर्कता, भू वैज्ञानिक एवं तकनीकी कर्मचारी शामिल होंगे। इसके साथ ही विभाग में उपलब्ध खनि रक्षक और बॉर्डर होमगार्ड भी दल के साथ रहेंगे।
मजेदार बात ये है कि विज्ञप्ति में अभियान की कठोरता का विस्तार से वर्णन करते हुए यह दावा भी किया गया है कि सख्त कार्रवाई से भविष्य में अवैध खनन की संभावना ही नहीं रहेगी।विज्ञप्ति के अनुसार अभियान के दौरान खान, राजस्व, परिवहन, वन एवं पुलिस विभाग के अधिकारियों द्वारा अवैध खनन, परिवहन और भण्डारण के प्रकरणों में अपने-अपने विभागीय नियमों के अनुसार सख्त कार्यवाही की जाएगी, ताकि भविष्य में अवैध खनन की संभावना नहीं रहे। इसके लिए कठोर निरोधात्मक व कानूनी कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने अभियान छेड़ने की वजह भी बताई है। कहा है कि खनिज बजरी एवं अन्य खनिजों के अवैध खनन, परिवहन और भण्डारण की शिकायतों को देखते हुए एक माह का जांच संयुक्त अभियान चलाने का निर्णय किया गया है। उल्लेखनीय है कि राजस्थान में खनिजों के अवैध खनन औऱ नदियों के पेटे से बजरी उत्खनन की गतिविधियां लंबे समय से बेरोकटोक जारी हैं। अपराधियों के काम में बाधा बनने वाले सरकारी कर्मचारियों से मारपीट तथा उन्हें जान से मारने की वारदातें भी होती रहती हैं। अवैध गतिविधियों के पीछे रसूखदारों का हाथ होने से इनपर कभी भी प्रभावी अंकुश नहीं लगाया जा सका है। अब फिर से अवैध खनन के खिलाफ सघन अभियान छेड़ने का ढिंढोरा पीटा जाना, महज वार्षिक कवायद की औपचारिक खानापूर्ति के सिवा कुछ नहीं लगता है।