
गेहूं के बढ़ते दामों को देखते हुए भारत ने इसके निर्यात पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है। आधिकारिक अधिसूचना के अनुसारभारत ने बढ़ती घरेलू कीमतों को नियंत्रित करने के उपायों के तहत गेहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है।
हालांकि, इसमें यह भी कहा गया है कि भारत सरकार द्वारा किसी दूसरे देश की खाद्य जरूरत के लिए निर्यात की अनुमति दी जाएगी। इसके अलावा वो गेहूं निर्यात किए जा सकेगा, जिनके आईसीएलसी जारी हैया शिपमेंट के लिए तैयार है।
लगातार महंगे हो रहे गेंहू के चलते खुदरा बाजार में आटा महंगा होता जा रहा है। खुदरा बाजार में आटा का औसतन दाम करीब 33.14 रुपए प्रति किलो पर जा पहुंचा है। बीते एक सालों में आटा करीब 13 फीसदीमहंगा हो चुका है। बीते साल 13 मई को आटा 29.40 रुपए प्रति किलो में मिल रहा था।गेंहू की कीमतों में आने वाले दिनों में और तेजी आने की उम्मीद जताई जा रही है। 2021-22 के रबी सीजन में गेंहू का उत्पादन घटने का अनुमान है। सरकार ने खुद उत्पादन के अनुमान को घटा दिया है। इस वर्ष गर्मी के मौसम के जल्दी आने के चलते सरकार ने 111.32 मिलियन टन से उत्पादन के अनुमान को घटाकर 105 मिलियन टन (10.50 करोड़ टन) कर दिया है।
इस रोक से पहले वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने बताया था कि चालू वित्त वर्ष में गेहूं निर्यात 100 से 125 लाख टन को पार कर सकता है। इस बार गेहूं खरीदार देशों में नया नाम मिस्र का जुड़ा है। भारत अभी 69 देशों को गेहूं निर्यात कर रहा है। वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने 69 देशों को 78.5 लाख टन गेहूं निर्यात किया।
कांग्रेस ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के कदम को ‘किसान विरोधी’ करार देते हुए दावा किया कि सरकार ने गेहूं की पर्याप्त खरीद नहीं की, जिस कारण ऐसी स्थिति पैदा हुई कि उसे निर्यात पर रोक लगानी पड़ी।पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने उदयपुर में संवाददाताओं से कहा, मेरा मानना है कि केंद्र सरकार पर्याप्त गेहूं खरीदने में विफल रही है। ऐसा नहीं है कि गेहूं की पैदावार कम हुई है। यह कुल मिलाकर पहले की तरह है। हो सकता है कि पहले के मुकाबले थोड़ी ज्यादा पैदा पैदावार हुई हो। किसानों ने भी सरकारी के फैसले का विरोध करते हुए गेहूं के निर्यात प्रतिबंध को नया कर लगाने जैसा बताया है।