आम धारणा है कि किडनी खून को साफ करने का काम करती है, लेकिन एक नई स्टडी ने इस धारणा को बदल दिया है। इसमें कहा गया है कि किडनी शरीर के निचले हिस्से का दिल है। यह दिल की तरह काम करती है।
जॉन्स हॉपकिंस के मैकेनिकल इंजीनियर सॉन सन की नई स्टडी के अनुसार दिल की हर धड़कन के साथ खून पूरी ताकत से किडनी तक आता है। किडनी उतनी ताकत से उसे फिल्टर करके वापस शरीर में फेंकती है। ये सैद्धांतिक रूप से गलत है। किडनी की कोशिकाएं खून को पंप करती है, फिल्टर नहीं करती। वो खून को रीसर्कुलेट करने के लिए बहुत ताकत पैदा करती है। यह स्टडी हाल ही में नेचर कम्यूनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित हुई है।
हालांकि 17वीं सदी से लोग यही जानते हैं कि किडनी खून को साफ करके उसमें से पेशाब निकालती है। किडनी बड़े पैमाने पर ऑस्मोसिस करके ये काम करती है। इसमें वह शरीर के नमक, कचरे और पानी का संतुलन बनाने का प्रयास करती है। हर एक किडनी में कई किलोमीटर लंबी पतलनी नलियां होती है। यह घर की नालियों और पानी के पाइपों की तरह जटिल होती हैं। स्टडीज में इस बात का खुलासा हुआ है कि किडनी की कोशिकाएं खून में आने वाली हाइड्रोस्टेटिक दबाव को समझ लेती है। उसके बाद वो उस हिसाब से काम करती हैं। ये अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है कि ये कोशिकाएं कैसे इतना बदलाव लेकर आती हैं।
वैज्ञानिकों के लिए यह पता करना बेहद मुश्किल था कि किडनी की बारीक नलियों के अंदर खून का बहाव कैसे होता है। इसके लिए एक ऐसे प्रयोग की जरूरत थी, जिसमें यह पता चलता कि इन नलियों में हाइड्रोलिक्स सिस्टम कैसे काम करता है।
सॉन सन और उनके साथियों ने अपनी स्टडी में माइक्रो-फ्लूडिक किडनी पंप तकनीक तैयार की। यह एकदम किडनी की तरह काम करती है। तकनीक की जांच जरूरी इसलिए थी ताकि वो किडनी के पैटर्न ब्लॉक्स और छेद वाली दीवारों को समझ सकें। यही कोशिकाएं खून साफ करने और उन्हें पंप करने का काम करती हैं। इन लोगों ने एक सीरिंज से इस तकनीक के अंदर लिक्विड डाला। फिर देखा कि ज्यादा हाइड्रोलिक प्रेशर होने पर कोशिकाएं काम करना बंद कर देती हैं या फिर कम कर देती हैं। यह काम को आगे बढ़ा देती हैं। जैसे कोई आलसी इंसान करता है. यहीं पर वैज्ञानिकों को लगा किडनी की कोशिकाएं पंप की तरह काम करती हैं।
