
राजस्थान में राज्यसभा चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस में घमासान शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खास माने जाने वाले खेल और युवा मामलों के मंत्री अशोक चांदना ने इस्तीफे की पेशकश कर दी है। इससे सरकार के भीतर उठ रहे बागी तेवरों को और हवा मिल गई है।
हालांकिचांदना की नाराजगी के बाद सरकार ने डैमेज कंट्रोल शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खेल मंत्री अशोक चांदना को मिलने के लिए बुलाया है। चांदना मुख्यमंत्री से मिलने पहुंच गए हैं। चांदना दोपहर में भी मिलने गए थे,लेकिन दो घंटे तक इंतजार के बाद भी सीएम से उनकी मुलाकात नहीं हो पाई।
इससे पहले दिन में एक कार्यक्रम के बाद मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने चांदना के कमेंट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्होंने तनाव में कमेंट किया होगा, गंभीरता से नहीं लेना चाहिए। चांदना से पहले भी सरकार को समर्थन दे रहे कई विधायक और एक मंत्री भी अफसरशाही के खिलाफ खुलेआम विरोध दर्ज करा चुके हैं।
गुरुवार देर रात अशोक चांदना ने मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव कुलदीप रांका पर उनके दखलंदाजी का आरोप लगाते हुए ट्वीट किया था और इस्तीफा देने की बात कही थी। चांदना ने उनके विभागों का चार्ज रांका को सौंपने की बात कहकर सरकार में अफसरों के दखल पर मुहर लगा दी है। सूत्रों के अनुसारचांदना बागी तेवरों के पीछे भविष्य के सियासी संकेत भी छिपे हैं।
बताया जाता है कि चांदना लंबे समय से प्रमुख सचिव की दखलादांजी से नाराज हैं। स्पोर्ट्स काउंसिल के कामकाज के तरीकों से भी चांदना नाराज थे। लगातार हो रही अनदेखी की वजह से उन्होंने कुलदीप रांका के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। चांदना ने गुरुवार देर रात ट्वीट करके इस्तीफे की पेशकश कर दी है, लेकिन उसके बाद वे मीडिया के सामने नहीं आए हैं।
खेल विभाग और स्पोर्ट्स काउंसिल में पिछले दिनों कुछ ऐसे फैसले हुए जिनमें खेल मंत्री को बायपास किया गया। यही नहीं, स्पोट्र्स काउंसिल की अध्यक्ष कृष्णा पूनिया के हस्तक्षेप से भी वे नाराज थे। बाद में जब कुलदीप रांका ने पूनिया का पक्ष लिया तो चांदना और नाराज हो गए। इसके बाद धीरे-धीरे विवाद बढ़ता गया। आखिरकार चांदना ने मोर्चा ही खोल दिया।