
अजमेर दरगाह को लेकर दावा करने वाले महाराणा प्रताप सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष व अन्य लोगों के खिलाफ विरोध शुरू हो गया है। हजरत ख्वाजा गरीब नवाज वेलफेयर एसोसिएशन, महाराष्ट्र ने ऐतराज जताया है। एसोसिएशन के सचिव मोहम्मद यूसूफ उमर अंसारी ने प्रतिनिधि मंडल के साथ अजमेर पहुंचकर एसपीको परिवाद दिया है। साथ ही एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की मांग की है। एफआईआर दर्ज नहीं होने तक अजमेर से नहीं जाने की चेतावनी दी।
हजरत ख्वाजा गरीब नवाज वेलफेयर एसोसिएशन, महाराष्ट्र की ओर से दिए गए परिवाद में बताया कि अजमेर शरीफ ख्वाजा गरीब नवाब दरगाह के बारे में महाराणा प्रताप सेना की तरफ से विवादित बयान देकर राजस्थान के हिन्दू-मुस्लिम समाज का माहौल खराब करने तथा हिन्दुस्तान की एकता और अखंडता को तोड़ने की कोशिश की जा रही है। कमेटी मांग करती है कि महाराणा प्रताप सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजवर्धन सिंह और अन्य कार्यकर्ता के खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया जाए। कठोर कानूनी कार्यवाही भी की जाए। जब तक उन पर एफआईआर नहीं होगी, वे अजमेर से नहीं जाएंगे।
अजमेर एसपीविकास शर्मा ने कहा कि महाराष्ट्र से आए कुछ लोग परिवाद देकर गए हैं। परिवाद दरगाह थाने भेजा गया है। जांच कर कार्रवई की जाएगी। उल्लेखनीय है कि महाराणा प्रताप सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजवर्धन सिंह परमार ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भेजे पत्र में बताया था कि अजमेर स्थित हजरत ख्वाजा गरीब नवाज दरगाह हमारा प्राचीन हिंदू मंदिर है। वहां की दीवारों व खिड़कियों में स्वास्तिक व हिंदू धर्म केअन्य चिह्न मिले हैं। महाराणा प्रताप सेना की मांग है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग यहां भी सर्वे करे। परमार ने ने 1170 ईस्वी का नक्शा दिखाते हुए दरगाह में शिव मंदिर होने का भी दावा किया। साथ ही अढाई दिन के झोपडे़ की जगह संस्कृत विद्यालय व विष्णु मंदिर होने की बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि अब उनको देश के विभिन्न हिस्सों सहित विदेशों से धमकियां मिल रही हैं। वो इनसे डरने वाले नहीं है।